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Thursday, 14 January 2016

होम लोन की जानकारी

by Amar Ujala Now  |  in इनफार्मेशनल at  04:06
लोन एक बहुत प्रचलित शब्द है| जिसे हर व्यक्ति किसी ना किसी रूप मे लेता है कोई अपनी जरुरत के लिये तो कोई अपने सपने को पूरा करने के लिये लोन लेता है| लोन एक तरह का ऋण है जोकि, किसी भी बैंक द्वारा या आज कल कुछ प्राइवेट कम्पनी द्वारा भी दिया जाता है जोकि, एक राशि के रूप मे निश्चित ब्याज दर पर एक निश्चित अवधि के लिये लिया जाता है| लोन कई प्रकार का होता है जैसे- होम लोन,एजुकेशन लोन,पर्सनल लोन|

होम लोन (Home Loan in Hindi)

घर खरीदने या बनाने के लिये बैंक या वित्तीय संस्था से लिया गया ऋण या उधार है जोकि, बैंक व संस्था की निश्चित ब्याज की दर तथा उनकी शर्तो पर के, अनुसार एक अनुबंध करके दिया जाता है|
होम लोन लेने के नियम
बैंक के अपने कुछ नियम कानून होते है जिसके तहद उसमे सभी बाते पूर्व मे ही निश्चित व लिखित रूप मे होती है| बैंक लोन हर किसी भी व्यक्ति को नही देती बैंक लोन निश्चित व्यक्ति को देती है जो इस प्रकार है-
  • लोन लेने वाला पूर्णत वयस्क हो अर्थात उसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो|
  • वह व्यक्ति मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ हो,व किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रस्त ना हो|
  • लोन लेने वाले की आयु 60 वर्ष से ज्यादा की ना हो|
  • वेतन भोगी कर्मचारी व स्वयं के व्यापार की दशा मे उसकी आय नियमित हो |
  • निश्चित की गई आय से अधिक आय होती हो|
  • महीने की आय मे से 50% तक की EMI भरने मे सक्षम हो|
  • बैंक मे दी गई प्रॉपर्टी की कीमत वर्तमान मे 60-85% तक की हो|
  • लोन लेने वाला व्यक्ति ,अपने साथ ऐसे व्यक्ति को चुने जो समय आने पर, उसके बाद लोन चुकाने मे सक्षम हो|
यह कुछ सामान्य शर्ते है| इसके अलावा हर बैंक की अपनी शर्ते व नियम-कानून होते है|
होम लोन कैसे ले 
  1.  होम लोन आवेदन प्रस्तुत करना|
  2.  व्यक्तिगत चर्चा करना|
  3.  सत्यापन करना|
  4.  ऋण का मूल्यांकन करना|
  5. ऋण की स्वीक्रति देना|
  6. प्रस्ताव पत्र प्राप्त होना|
  7. कानूनी रूप से जाँच करना|
  8. तकनीकी मूल्यांकन करना|
  9. सम्पति की जाँच करना|
  10. पोस्ट डेटेड चेक जमा करना|
  11. अंतिम संविवरण प्राप्त करना|
1.होम लोन आवेदन प्रस्तुत करना
होम लोन लेने की प्रक्रिया मे सबसे पहले किसी भी बैंक या संस्था मे एक आवेदन प्रस्तुत करना होता है| उस आवेदन के साथ सभी दस्तावेज़ भी संलग्न करे ,जैसे-
  • स्थानीय पते का प्रमाणपत्र (Address Proof)
  • आयु प्रमाणपत्र (Age Proof)
  • PAN Card की कॉपी
  • कर्मचारी व रोजगार का विवरण (Employee or Employment Details)
  • आय का प्रमाणपत्र ( Proof of Income)
  • बैंक विवरण (Bank Details)
  • अन्य व्यक्तिगत जानकारी व उससे संबंधित दस्तावेज़
2.व्यक्तिगत चर्चा करना
आवेदन प्रस्तुत करने के बाद सबंधित अधिकारी आवेदन के साथ उस व्यक्ति से मिलता है जिसे लोन देना है तथा उसे लोन संबंधित शर्तो को समझाता है तथा आवेदन के साथ प्रस्तुत दस्तावेज़ की प्रति को मूल(Original) दस्तावेज़ से जाँच करेगा|
3.सत्यापन करना
इस सत्यापन की प्रक्रिया को फील्ड इन्वेस्टीगेशन भी कहा जाता है| इसमें बैंक लोन के लिये आवेदन किये गये, व्यक्ति के मौजूदा निवास या ऑफिस पर अपने किसी प्रतिनिधि को भेज कर, सभी दस्तावेजो व व्यक्ति की सही जानकारी लेती है| जिससे भविष्य मे किसी भी तरह की कोई भी धोखा-धड़ी किसी के साथ न हो|
4.ऋण का मूल्यांकन करना
बैंक द्वारा उपरोक्त जानकारी लेने के बाद ,बैंक अपने अनुभव के अनुसार,लोन लेने वाला व्यक्ति की आय,आयु,योग्यता,व्यापार की प्रकृति, तथा बैंक की सभी शर्तो तथा ब्याज की राशि व मूल राशि को पुनः चुकाने मे सक्षम है या नही|
5.ऋण की स्वीक्रति देना
सभी जानकारी तथा तथ्यों की पुष्टि करने के बाद, सहशर्त दस्तावेजो पर बैंक संबंधित व्यक्ति के हस्ताक्षर लेती है, तथा स्वयं भी हस्ताक्षर कर, एक निश्चित ऋण की राशि पर अपनी स्वीकृति देती है|
6.प्रस्ताव पत्र प्राप्त होना
ऋण स्वीकृत होते ही, एक विवरण के साथ बैंक ऋण का प्रस्ताव पत्र देती है| वह विवरण निम्न इस प्रकार है-
  • ब्याज की राशि|
  • ब्याज की दर|
  • ऋण की अवधि|
  • स्थिर या चल ब्याज की दर|
  • भुगतान की विधी|
  • यदि किसी सम्पति पर लोन लिया तो उसके पेपर|
  • विशेष स्थति मे दी गई शर्ते|
  • अन्य शर्त|
सभी शर्तो के अनुसार बैंक के संबंधित अधिकारी के समक्ष लोन लेने वाला व्यक्ति हस्ताक्षर करेगा तथा सभी दस्तावेज बैंक के कार्यालय मे प्रस्तुत होंगे|
7.कानूनी रूप से जाँच करना
बहुत ही आवश्यक है कि, सम्पति की कानूनी रूप से जाँच की जाये| जिसमे यह देखा जाता है कि, जो व्यक्ति लोन ले रहा है, सम्पति उसी के नाम पर है| तथा उसके सम्बन्ध मे सभी जानकारी सही हो| बैंक उस सम्पति के दस्तावेजो को, अपने पास तब तक रखती है जब तक, लोन की पूरी अदायगी ना हो जाये|
8.तकनीकी मूल्यांकन करना
जिस भूमि दस्तावेज बैंक के समक्ष रखे है उसका, खरीदी मूल्य तथा वर्तमान मे, उसका बाज़ार मूल्य पता करना, तथा उस भूमि का वहा जाकर जाँच करना|
9.सम्पति की जाँच करना
सभी कानूनी तथा तकनीकी मूल्यांकन के बाद सम्पति के पंजीयन की जाँच किसी भी वकील के माध्यम से करना|
10.पोस्ट डेटेड चेक जमा करना
सम्पूर्ण प्रकिया के उपरान्त अंतिम दस्तावेज पर हस्ताक्षर होने के बाद, बैंक द्वारा पोस्ट डेटेड चेक उस व्यक्ति को दिये जाते है| दी गई तिथि पर चेक को जमा कर, राशि प्राप्त की जाती है|
11.अंतिम संविवरण प्राप्त करना
अंत मे, लोन की अंतिम राशि के सम्बन्ध मे, उस व्यक्ति के द्वारा आवेदन किया जाता है| बैंक की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलने पर अंतिम राशि का चेक, बैंक द्वारा संबंधित व्यक्ति को दिया जाता है| बैंक समय-समय पर अपनी शर्तो के अनुसार, महत्वपूर्ण जानकारी व हुए बदलाव की जानकारी व्यक्ति को देती है, जिसने लोन लिया है|
इस प्रकार होम लोन की प्रकिया की जाती है |
होम लोन हस्तान्तरित करने की प्रकिया
होम लोन हस्तान्तरित करने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है| जोकि इस प्रकार है-
  • सबसे पहले जिस बैंक मे, होम लोन लिया है उस बैंक मे, लोन के हस्तांतरण के लिये एक आवेदन दे|
  • जिस बैंक मे लोन को हस्तान्तरित करना है उस बैंक मे लोन के लिये अनुरोध करे|
  • पहले वाली बैंक आवेदन के आधार पर मंजूरी देगी पर उससे पहले वह सभी बकाया राशि तथा पेपर की जाच कर लेन-देन पुरे करवायेगी|
  • फिर बैंक अपनी सभी बकाया की वसूली के बाद एक NOC या सहमति पत्र देगी|
  • सभी कानूनी कार्यवाही के बाद बैंक उस व्यक्ति को उसके सारे सम्पति के पेपर रिटर्न कर, लोन हस्तान्तरित करने की अनुमति दे देती है|
  • इस तरह लोन हस्तांतरण किया जाता है| कई बार यह बहुत फायदेमंद भी होता है| इसमें ब्याज की दर लगभग डेढ़ प्रतिशत तक कम हो जाती है|
होम लोन के सम्बन्ध मे महत्वपूर्ण बाते
  • होम लोन लेने से पहले सभी बैंकों मे जाकर, उसकी शर्तो को तथा होम लोन की प्रकिया समझ लेनी चाहिये|
  • सभी बैंकों मे अलग-अलग ब्याज दर होती है, उससे संबंधित पूरी जानकारी बैंक से ले, तथा जिसमे ब्याज दर कम हो उसे देखे|
  • बैंक को स्वयं तथा सम्पति की सही जानकारी दे व समय-समय पर बैंक की नयी शर्तो की भी जानकारी रखे |

बजट पर निबंध

by Amar Ujala Now  |  in सामान्य ज्ञान at  02:13
बजट (Budget) एक ऐसा शब्द है जोकि, आम जिंदगी मे बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| कोई भी समझदार व्यक्ति अपने हर छोटे बड़े काम या कोई भी खर्चे या निवेश का बजट बना कर ही करता है| ठीक उसी तरह सरकार भी अपने मुख्य कार्य, आय-व्यय का लेखा-जोखा बजट से ही करती है| तथा हर वर्ष सरकार जनता के सामने अपना बजट प्रस्तुत करती है| बजट सरकार व प्रत्येक व्यक्ति की जिन्दगी का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा है| जिसके लिये,
भारत के संविधान (Constitution of India)
मे अलग से अनुछेद बना कर विस्तारित भी किया गया है| आजाद भारत का सबसे पहला केन्द्रीय बजट छब्बीस नवम्बर, उन्नीस सौ सैतालिस (26/11/1947) को आर.के.शंमुखम के द्वारा संसद मे प्रस्तुत किया गया था|
  • बजट की परिभाषा
  • संविधान के अनुसार बजट
  • बजट का उद्देश्य
  • बजट के प्रकार
  • बजट कैसे बनाया जाता है?
  • बजट के सम्बन्ध मे महत्वपूर्ण बाते
बजट की परिभाषा (Budget Definition)
बजट, भविष्य के लिये की गई वह योजना है जो, पूरे साल की राजस्व व अन्य आय तथा खर्चो का अनुमान लगा कर बनाई जाती है| जिसमे वित्तीय मंत्री के द्वारा, सरकार के समक्ष अपनी व्यय का अनुमान लगा कर, आने वाले वर्ष के लिये कई योजनायें बना कर, जनता के सामने हर वित्तीय वर्ष के दौरान प्रस्तुत करती है| एक आदर्श बजट वह होता है जिसमे,किसी का स्वार्थ ना हो| सरकार द्वारा उस बजट मे लोग, व्यापार, सरकार, देश, बहुराष्ट्रीय संगठन के लिये, एक व्यक्ति, परिवार, समूह के लिये अच्छी से अच्छी योजनायें बनाई गई हो तथा खर्चे व निवेश किये गये हो|
संविधान के अनुसार बजट
संविधान के अनुछेद (Artical) 112 के अनुसार, राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान ,संसद के दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण रखवाते है, जिसमे सरकार के गत वर्ष के आय/प्राप्तियों व व्ययों का ब्योरा होता है|
बजट मे अनुमानित मुख्य रूप से दो मदों को लिखा जाता है –
  1. भारत सरकार की संचित निधि पर लगे व्यय|
  2. सरकार की संचित निधि के लिये किये जाने वाले अन्य व्ययों की भरपाई के लिये अपेक्षित राशि|
इसके आलावा अन्य तथा राजस्व व्ययों का विवरण बजट मे देना होता है|

बजट का उद्देश्य
प्रत्येक वर्ष के लिये सरकार पूर्व मे ही योजना बना लेती है| जिसमे सरकार की आय के स्त्रोत जैसे- भिन्न-भिन्न करो की वसूली या टैक्स, राजस्व से आय, सरकारी फीस-जुर्मना, लाभांश, दिये गये ऋण पर ब्याज आदि सभी आय और इन आय को वापस जनता के लिये लगाना बजट का मुख्य उद्देश्य होता है|
  • आर्थिक विकास की दर मे वृद्धि करना|
  • गरीबी व बेरोजगारी को दूर करना|
  • असमानताओ को दूर कर आय का सही योजनाओं मे उपयोग करना|
  • बाजार मे मूल्य व आर्थिक स्थिरता बनाये रखना|
  • अन्य सभी क्षेत्रों रेल, बिजली, वित्त, अनाज, खाद्यपदार्थ, बैंकों के लिये भी फण्ड रखना|
बजट के प्रकार
सामान्यतया सालाना बजट वित्त मंत्रालयों मे उनके बाटे गये विभाग द्वारा बनाये जाते है| जिसकी अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति द्वारा दी जाती है जोकि, केन्द्र व राज्य सरकार दोनों के सम्बन्ध मे होती है| रेल बजट,रेल मंत्रालय द्वारा अलग से तैयार किया जाता है| बजट के मुख्य रूप से तो दो ही प्रकार होते है|
  1. केन्द्रीय बजट
  2. रेल बजट
केन्द्रीय बजट
केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया सबसे बड़ा बजट जो हर वर्ग के व्यक्ति को ध्यान मे रख कर बनाया जाता है| जिसे आम बजट भी कहा जाता है इसमें सभी तरह के प्रावधान होते है जोकि, बिल के रूप मे पारित होते है| प्रत्येक वर्ष नये बजट के साथ नये नियम व कानून के साथ पारित होते है| केन्द्रीय बजट के कई छोटे-छोटे प्रावधान है,जिनके लिये बजट बनाया जाता है,जैसे-

रेल बजट ( Rail Budget)
संसद मे रेल मंत्री द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान रेल बजट प्रस्तुत किया जाता है| जिसमे आम जनता के लिये,
  • कई नयी ट्रेनों की घोषणा की जाती है|
  • यात्रियों के लिये ई-रेलवे की सुविधाये|
  • ट्रेनों मे तथा प्लेटफार्म पर सुविधाये घोषित करना|
  • एसएमएस और नेट के द्वारा बुकिंग तथा चैकिंग की सुविधा|
यह दो मुख्य रूप से बनाये गये बजट होते है| जोकि, जहा तक संभव हो इसे फरवरी मे बनाया जाता है| और वित्तीय वर्ष के दौरान घोषित किया जाता है|
ठीक इसी तरह केन्द्र के बजट जोकि, पूरे देश पर लागू होते है| परन्तु हर राज्य का अपना एक अलग बजट बनता है जिसमे, वह राज्य के लिये प्रावधान करती है|

असली और नकली नोट की पहचान

by Amar Ujala Now  |  in टिप्स और ट्रिक्स at  01:58
जिंदगी जीने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है, “रुपया-पैसा”| व्यक्ति कितना ही अमीर हो, मध्यम वर्ग का हो, या गरीब हो, हर एक की सबसे पहली जरुरत रुपया है| बिना रुपयों के जिंदगी का एक पल नही निकल सकता कोई| हर तरीके से, हर किसी की जिंदगी मे, रुपयों का बहुत अधिक महत्व है| और प्रत्येक व्यक्ति रूपये कमाने की भागमभाग मे दिन-रात लगा रहता है|
जब कोई व्यक्ति पूरी मेहनत व ईमानदारी से रूपये कमाता है तो, वह उसका हर तरीके से सही ओर सदुपयोग करता है| दुनिया बहुत बड़ी है, यहाँ हर तरह की सोच वाले व्यक्ति रहते है| उनमे से कुछ ऐसे भी होते है, जो मेहनत करना ही नही चाहते, ईमानदारी से रहना तो दूर, उसकी सोचते तक नही| ऐसे लोग रूपये कमाने की आसान से आसान तरकीब निकाल लेते है, उसके लिये वह कुछ भी अपराध तक कर लेते है| जिसके चलते नोटों की हेराफेरी दिनों दिन बढ़ रही है|
नकली नोटों को असली नोटों मे इतनी बहुखूबी से बदला जा रहा है कि, आम व्यक्ति के लिये पहचानना बहुत ही मुश्किल हो गया| मुख्य रूप से एक अनपढ़ व्यक्ति के लिये जिसे पहले से कोई समझ नही है, उस पर उसे नोटों की पहचान जो उस व्यक्ति के समझ से परे है|

असली और नकली नोट की पहचान कैसे होती है ?

Asli aur nakli note ki pehchan hindi

सबसे पहले नोटों को उनके रंग और माप(Size) के हिसाब से जाँचा जायेगा, जिसे कम पढ़ा-लिखा या अनपढ़ व्यक्ति भी समझ सकता है |

  1. नोट पर रजिस्टर्ड चिन्ह के माध्यम से देखना – किसी भी नोट के सीधे भाग को जब भी हाथ मे लेंगे तब उल्टे/बाये हाथ की तरफ (Left-hand Side) तथा नोट के पीछे वाले भाग पर सीधे/दाये हाथ की तरफ(Right-hand Side) मध्य मे एक छोटी सी डिज़ाइन जो हर नोट मे बहुत छोटे फ्लावर या छोटी-छोटी पत्ति के रूप मे अलग-अलग होती है,उसे देखेगे| जैसे –
                                                            
  1. पहचान चिन्ह- पांच व दस रूपये की नोट छोड़ कर, सभी नोटों पर नोट के सीधे भाग के बाये तरफ(Left-hand Side) एक बहुत छोटा सा चिन्ह होता है| जोकि इस प्रकार है

  1. अद्रश्य चित्रांक (SPECIMEN) – हर नोट पर एक सफेद रंग की प्रति होती है जिस पर अद्रश्य रूप से एक चित्रांक होता है| वर्तमान मे महात्मा गाँधी जी का अद्रश्य चित्रांक है जोकि सामान्यतया नही देखती नही परन्तु नोट की पहचान के लिये उसे रोशनी मे देखे तब वह चित्रांक दिखाई देगा| जो इस प्रकार है- 
                                                          
  1. स्याही की पहचान- हर नोट पर उस रंग के नोट के हिसाब से डार्क व अलग रंग की स्याही का उपयोग होता है| जो उस नोट के मध्य मे, हिन्दी व इंग्लिश दोनों मे वह नोट कितने का है, यह अंको व शब्दों मे लिखा होता है| जैसे-
                                        
  1. सीरिज लिखी होना – हर नोट पर एक अलग सीरिज जो की न्यूमेरिकल नंबर के रूप मे होती है| जोकि सभी नोटों पर भिन्न-भिन्न होती है| नोट के सीधे भाग पर दोनों तरफ अर्थात् बायी तरफ(Left Side) मे नीचे(Bottam) तथा दायी तरफ(Right Side) मे उपर की ओर होती जो बिल्कुल एक जैसी होती है, जैसी ऊपर वैसी नीचे| उदाहारण –
                                               
  1. तार देखना – हर नोट के सीधे भाग पर दाये हाथ(Right-hand Side) की ओर एक लंबा तार या धागा होता है, जिसपर RBI व भारत लिखा होता है| नोट को उजाले की तरफ करते ही RBI व भारत बहुत ही साफ रूप से दिखाई देते है, जो किसी भी नोट की बहुत बड़ी पहचान है| जिसे देख कर नोट की असलीयत बहुत ही आसानी से हो जाती है| जोकि इस प्रकार है –
                                                                 
  1. गवर्नर के हस्ताक्षर – हर नोट को सर्टिफाइड करने के लिये, उस पर नोट के सीधे भाग पर मध्य मे, जो भी गवर्नर पद पर आसीन है, उसके हस्ताक्षर जरुर होते है| वह हस्ताक्षर हिन्दी व इंग्लिश दोनों मे होते है| उदाहरण –
                                                                
  1. वर्ष लिखित होना – हर नोट के पीछे के भाग मे, मध्य मे सबसे नीचे की ओर, जिस भी वर्ष मे वह नोट छपा है, वह वर्ष अंको मे बहुत ही छोटे रूप मे लिखा होता है| जैसे –
                                                                   
मुख्य रूप से नोट की असली ओर नकली होने की जांच इसी तरीके से की जाती है| जैसे, नोट चेक (जांचने) की मशीन भी आने लगी है|

फेसबुक का इतिहास

by Amar Ujala Now  |  in इनफार्मेशनल at  01:45
फेसबुक, बहुप्रसिद्ध व चर्चित एक ऐसी सोशल नेटवर्किंग साइट है जिसने, अनगिनत लोगों को अपनों से मिलवाया है| फिर वह चाहे पुराने दोस्त हो, दूरदराज रहने वाले परिवार के सदस्य हो, या अन्य कोई करीबी जो दुनिया के किसी भी कोने मे हो, जिसे व्यक्ति ने सिर्फ याद ही किया हो, उसे भी Facebook के माध्यम से खोज सकते है| Facebook एक ऐसी सोशल साइट है जिसके, माध्यम से हर पल की खबर अच्छी हो या बुरी , मेसेज या पिक्चर के माध्यम से शेयर कर सकते है|
बदलते वक्त के साथ Facebook ने खुद को बहुत Updated कर लिया है| जिस पर व्यक्ति को हर छोटी से छोटी बात, न्यूज़ रिपोर्ट, शॉपिंग आईडिया, क्राफ्ट, कुकिंग, विडियो और भी छोटी से छोटी बात का पता Facebook से लगाया जा सकता है|

फेसबुक का इतिहास

Facebook itihas history in hindi

आज हम अपने इस अंक मे फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट के इतिहास (History) की चर्चा करेंगे|
  • फेसबुक के जनक का संक्षिप्त परिचय
  • फेसबुक का इतिहास
  • फेसबुक की शुरू से आज तक के प्रमुख बिन्दु
 फेसबुक के जनक का संक्षिप्त परिचय
फेसबुक के संस्थापक (sansthapak), मार्क इलियट जुकेरबर्ग है| इनका जन्म 14 मई 1984 को न्यूयार्क,अमेरिका मे हुआ था| हावर्ड विश्वविद्यालय मे, शिक्षा ग्रहण करते Facebook नामक एक साइट बनाई| जुकेरबर्ग Facebook के प्रमुख संस्थापक होने के साथ विश्व के सबसे कम उम्र के अरबपति मे से एक है|
फेसबुक का इतिहास (Facebook kya hai)
फेसबुक का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना तो नही है, परन्तु बहुत रोचक है| क्योंकि, फेसबुक ने बहुत कम समय मे बहुत जल्दी तरक्की हासिल की है| Facebook का निर्माण, मार्क इलियट जुकेरबर्ग ने, अपने साथियों एडुआर्ड़ो सवेरिन ने व्यवसायिक पहलुओं, डीउस्टिन मोस्कोवीटज ने प्रोग्रामिग़ , एंड्रयू मककोल्लुम ने ग्राफिक्स आर्टिस्ट तथा च्रिस ह्यूज ने जुकेरबर्ग की वेबसाइट के प्रमोशन मे साहयता की| इन सबके साथ मिल कर 4 फरवरी 2004 को किया| शुरू मे, हावर्ड विश्वविद्यालय मे ही इसकी समिति बनाई गई| धीरे-धीरे बोस्टन, आइवी लीग, स्टेनफोर्ड जैसे कई विश्वविद्यालयों मे इसका विस्तार किया गया| 2004 मे, कैलीफोर्निया स्थित मुख्यालय मे ,जुकेरबर्ग को अध्यक्ष के रूप मे चुना गया| इसे बहुत सुचारू रूप से निर्माण कर आगे बढाया गया है|

फेसबुक की शुरू से आज तक के प्रमुख बिन्दु
  • अगस्त, 2005 मे इसे खरीद कर Facebook.com के नाम से रजिस्टर्ड किया गया| सितम्बर, 2005 मे इस पर हस्ताक्षर हुए| उसके बाद से अमेरिका व ब्रिटेन के सभी विश्वविद्यालय मे इसका प्रसार शुरू हुआ| उसके बाद धीरे-धीरे कर सम्पूर्ण विश्व मे इसका प्रसार शुरू हुआ|
  • सितम्बर,2006 मे यह विस्तृत रूप मे, पूरे देश के सामने आया| तथा पंजीकृत बहुत पुराने ईमेल के पते के साथ, इस पर अपनी ईमेल आइडी बना कर इसे उपयोग किया जाने लगा| इसके साथ ही फेसबुक बड़ी-बड़ी वेबसाइट से जुड़ने लगी|
  • 2007 मे, Facebook की प्रसिद्धि को देखते हुये कई बड़ी व्यापारिक कंपनिया व्यापार को बढ़ावा देने के लिए फेसबुक से जुड़ गई| जिससे फेसबुक को अरबोँ रुपयों का फायदा होने लगा| 2007 मे ही माइक्रोसॉफ्ट ने Facebook को खरीद कर इसे अंतर्राष्ट्रीय विज्ञापन के अधिकार प्राप्त कर इसमें शामिल किया|
  • 2008 मे, आयरलैण्ड के डबलिन मे Facebook का अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय खोलना तय हुआ| इसके साथ ही इसका उन्नति का ग्राफ बहुत तेजी से बड़ा|
  • बढ़ती उन्नति के 2009 मे Facebook ने सारे रिकॉर्ड तोड़े और इस साइट पर यूजर्स की संख्या लाखों-करोड़ों मे पहुच गई|
  • 2010 मे Facebook को लोगों की पसंद देखते हुए कई बड़ी मोबाईल कम्पनीयो, ऑनलाइन शॉपिंग कम्पनीयो के साझा कर बहुत बड़ी डील करी|
  • 2011 मे, फेसबुक के बढ़ते उपयोग को देखते हुये, यूजर पर्सनल डाटा की सुरक्षा के लिए कुछ बदलाव किये|जिसके अंतर्गत यूजर अपने हिसाब से अपने अकाउंट की सेटिंग कर सकता है| जिससे साइबर क्राइम न हो पाये|
  • 2012 मे, Facebook ने अपना खुद का रिकॉर्ड तोडा|तथा अमेरिका मे इसके शेयर की कीमत बढ़ कर आसमान छुने लगी|
  • 2013 से आज तारीख तक Facebook की एक आम रिपोर्ट भी निकाले, तो इसकी ख्याति इतनी बढ़ गई है, जिसे हर दूसरा व्यक्ति फेसबुक से परिचित है, और इसे उपयोग भी करता है|
हर तरीके से एक सामान्य मेसेज से ले कर, फोटो, विडियो, आवश्यक जानकारी, जोक्स, कविताएँ, कहानी-किस्से, कुकिंग की रेसिपी देखने से बनाने तक की विडियो, पूरे विश्व की तस्वीरे से विडियो तक, यहा तक की परीक्षा की तैयारी, शॉपिंग अन्य अनगिनत चीज़े जो की हम Facebook के माध्यम से देख ढूढ़ और पूछ सकते है|

चीन भारत युद्ध इतिहास एवम विफलता के कारण

by Amar Ujala Now  |  in सामान्य ज्ञान at  01:33
National Solidarity Day China India War Yuddh Date Result History Essay In Hindi चीन भारत युद्ध इतिहास एवम विफलता के कारण जरुर पढ़े और जाने कैसे उस वक्त रक्षा बल एवं सियासी बलों के कारण भारत को हार का सामना करना पड़ा |

China India War Yuddh History

भारत चीन युद्ध का इतिहास

इतिहास के पन्नो में दर्ज एक भयानक युद्ध जो भारत चीन के बीच 1967 में हुआ था | इस युद्ध में भारत को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन यह युद्ध हमारे देश को कूटनीति का मतलब सिखा गया था जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरुसमझ नही पाये थे | उन्होंने खुद यह बात मानी थी कि वे इसे महज एक सामान्य झगड़ा ही समझ रहे थे जो बात चीत के जरिये समाप्त हो सकता था | उन्होंने स्पष्ट किया था कि भारत अपने ही बनाये दायरे में वास्तविक्ता से दूर था | कई हद तक हमारे सामने साक्ष्य मौजूद थे पर हमने अनदेखा किया |
इस युद्ध में हार के पीछे तात्कालिक सरकार को कठघड़े में खड़ा किया गया स्वयंराष्ट्रपति श्री राधाकृष्णन ने ये आरोप सरकार पर लगाये | स्पष्ट कहा गया यह युद्ध लापरवाही का परिणाम था |
इतिहास के कई पन्ने यह भी कहते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल  को हमेशा से चीन की नियत पर शक था वे उसे मुँह पर कुछ पीठ पीछे कुछ और ऐसा संबोधित करते थे उन्होंने खुद इस बात का जिक्र पंडित जवाहरलाल नेहरु  से किया लेकिन नेहरू जी ने इस बात को भी अनदेखा कर दिया |
शायद इन्ही लापरवाही के चलते चीन ने भारत पर आक्रमण किया और भारत को हार का मुख देखना पड़ा लेकिन चीन के इस कदम से उसकी अंतराष्ट्रीय छवि पर गहरा आघात पहुँचा |

China India War Yuddh Date (National Solidarity Day)

कब हुआ था चीन भारत युद्ध

चीन ने भारत पर 20 अक्टूबर 1962 को आक्रमण किया यह युद्ध 21 नवंबर तक चला | भारत को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा | 20 अक्टूबर का दिन National Solidarity Day (China attacked India on that day) के तौर पर याद रखा जाता हैं |
हालाँकि चीन ने 1959 से ही भारत पर छोटे-छोटे आक्रमण शुरू कर दिए थे | सीमा पर तनातनी का माहौल गहराने लगा था | शायद इसके पीछे का करण था | उस वक्त भारत ने दलाई लामा को शरण दी थी और ये बात चीन को हजम नहीं हुई और उसने कहीं न कहीं युद्ध का मन बना लिया |

China India War Yuddh Result

भारत चीन युद्ध स्थान एवं परिणाम:

भारत चीन मतभेद देश की आजादी के समय से ही चला आ रहा हैं |1962 का युद्ध सीमा युद्ध था लेकिन इसके पीछे कई कारण बताये जाते हैं | यह युद्ध भारत के उत्तरपूर्वी सीमा पर हुआ था | वर्तमान स्थिती के अनुसार यह क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश एवं चीन के अक्साई (रेगिस्तानी क्षेत्र ) था जहाँ यह युद्ध हुआ था | भारत चीन से नेपाल, भूटान एवं वर्तमान तिब्बत की सीमाओं से जुदा हुआ हैं इस प्रकार तीन अहम सीमायें हैं भारत एवं चीन के बीच |
सर्वप्रथम इस युद्ध का संकेत 1959 में हुए सीमावर्ती हमलो से मिला था | उस वक्त चीन ने लद्दाख कोंगकाला में सबसे पहले युद्ध का माहौल बनाया था जिसे भारत समझ नहीं पाया | उसके बाद 1962 में भारत के अरुणाचल प्रदेश एवम चीन के अक्साई दोनों क्षेत्रों में एक महीने तक युद्ध चला | यह युद्द ऊँची- ऊँची पहाड़ियों के बीच ज्यादा गहराया | इस युद्ध में भारत के तरफ से उचित निर्णय एवं कार्यवाही में काफी गलतियाँ हुई जिसका जिम्मेदार उस वक्त सरकार एवम अहम् मिलेट्री के ऑफिसर्स को बताया गया | 21 नवंबर को चीन ने युद्ध विराम की  घोषणा की | भारत को हार मिली लेकिन चीन ने भी कब्ज़ा किये क्षेत्रो को छोड़ने का ऐलान किया उसके बाद ही युद्ध खत्म हुआ | अन्तराष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि ख़राब हुई | और इस युद्ध से यह भी स्पष्ट हुआ कि भारत की राजनीती में बहुत से अलगाव हैं | आपसी मतभेद इस युद्ध के कारन सामने आ गये और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर जाहिर होने लगे |

भारत की हार का कारण

चीन से मिली हार के कई कारण थे लेकिन आज तक उन कारणों पर खुलकर बातचीत नहीं की गई |
  • रक्षामंत्री एवं कमांडर का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार : सबसे पहले इस मामले में ऊँगली कृष्ण मेनन पर उठी जो उस समय रक्षा मंत्री थे | इनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल बीएम कौल जो उस समय उत्तर पूर्व क्षेत्र के कमांडर थे और उन्हें यह पोस्ट रक्षामंत्री के कारण मिली थी जबकि कौल के पास इस पोस्ट के लिए जो अनुभव होना चाहिये थे वे नहीं थे | कौल को किसी भी तरह के युद्ध का कोई अनुभव नहीं था इसके बावजूद इन्हें कमांडर बनाया गया | इस बात के लिए रक्षामंत्री को जिम्मेदार ठहराया गया |इस युद्ध में कौल बीमार हो गये लेकिन फिर भी युद्ध की जिम्मेदारी घर से पूरी की जिससे कई सैन्य अधिकारी ना खुश थे पर किसी ने इसका मुँह पर उल्लंघन नहीं किया क्यूंकि कौल मेनन के काफी खास थे | युद्ध आगे बढ़ता गया लेकिन जब कौल और मेनन की सच्चाई सभी के सामने आई तो स्वयम राष्ट्रपति ने इसका विरोध किया और मेनन को रक्षामंत्री पद से हटाया गया | कौल के खिलाफ भी कार्यवाही की गई |
  • ख़ुफ़िया एजेंसी प्रमुखों की नाकामयाबी : मलिक जो उस वक्त ख़ुफ़िया एजेंसी के प्रमुख थे | उन्होंने चीन के भारत के प्रति व्यवहार को सही तरह से नहीं परखा | ना ही उचित नीति बना पाया | चीन के संकेतो पर ख़ुफ़िया एजेंसी ने भी कोई कदम नहीं उठाये न ही इसके लिए सैन्यबल को पूर्व तैयारी के लिए बाध्य किया |
  • प्रधानमंत्री की लापरवाही : पंडित नेहरु उस वक्त इसी सोच में थे कि चीन युद्ध नही कर सकता क्यूंकि सोवियत संघ से उसके संबंध ख़राब हैं | इस तरह की नाफ़रमानी का परिणाम था यह बड़ा युद्ध जिसे केवल गैर जिम्मेदाराना हरकत के कारण भारत को लड़ना पड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा |
  • इसमें सैन्य अधिकारीयों एवं ख़ुफ़िया एजेंसी का सबसे बड़ा हाथ थे क्यूंकि यही लोग पंडित नेहरु को वास्तविक्ता दिखा सकते थे लेकिन उनके मुँह पर उन्हें गलत कह देने की ताकत इन लोगो में नहीं थी जिसका फायदा चीन ने आसानी से उठा लिया |
  • युद्ध में हार कर कारण उचित एयरफोर्स का उपयोग ना करना भी बताया गया | अमेरिकी गुप्तचर में लिखा कि चीन के पास हवाई कार्यवाही के खिलाफ उचित प्रबंध नहीं था | अगर भारत इस बात का फायदा उठाता तो युद्ध का परिणाम भिन्न होता |
  • आखरी कारण यही तय किया गया कि भारत के पास कोई सही युद्ध नीति नहीं थी जिसके साथ वो इस युद्ध को काबू में कर पाता |

युद्ध के बाद भारत में कार्यवाही :

इस युद्ध के बाद भारत की सरकार को गहन आलोचना का पात्र बनाना पड़ा | राष्ट्रपति ने स्वयं सरकार की एवं रक्षाबलो की नीतियों की निंदा की | परिणाम स्वरूप रक्षामंत्री मेनन को 9 नवम्बर को पद से निरस्त किया गया |युद्ध में कई सैनिक मारे गए देश के अस्थिरता आने लगी |
इस युद्ध के कारण भारत को चीन की नियत का पता चला हिंदी चीनी भाई भाई के नारे का विरोध हुआ और भारत को कूटनीति का महत्व समझ आया |
हार के कारणों के पता करने के लिए कमेटी बनाई गई जिसमे जनरल हेंडरसन ब्रुक्स एवम पी एस भगत ने उचित कार्यवाही की और कारणों को खोज कर हेंडरसन-ब्रूक्स-भगत रिपोर्ट में लिखा गया जिसे आज तक पूरी तरह सबके सामने नही रखा गया | शायद इसका कारण यही था कि इस युद्ध के अहम् कारण प्रधानमंत्री नेहरु की विफलता थी |
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कैसे भरे ऑनलाइन एडवांस टैक्स चालान 280 फॉर्म के द्वारा

by Amar Ujala Now  |  in इनफार्मेशनल at  01:16
इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के अंतर्गत जब किसी व्यक्ति, कंपनी,फर्म या कोई संस्था जिसकी आय अधिक हो| कर का भुगतान करने के सम्बन्ध मे, चालान 280 का प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट मे किया गया है|

कैसे भरे ऑनलाइन एडवांस टैक्स चालान 280 फॉर्म के द्वारा

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पूरी गणना के बाद उस व्यक्ति, कंपनी,फर्म या संस्था की आय पर कर दायित्व बन रहा हो , तो उसे चालान के माध्यम से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट मे ,प्रस्तुत करेंगे| सरकार इस टैक्स को कई तरीको से वसूल करती है, जैसे –
  • एडवांस टैक्स (Advance Tax)
  • सेल्फ असेसमेंट टैक्स (Self Assessment Tax)
इन टैक्स को चालान 280 के माध्यम से ऑनलाइन (Online)व ऑफलाइन (Offline) दोनों तरीके से भरकर टैक्स का सही समय पर, और सही भुगतान करना संवैधानिक दायित्व है|
सरकार आय की गणना के अनुसार वितीय वर्ष मे व्यक्ति से मुख्य तीन प्रकार से कर(Tax) की वसूली करती है|
  • व्यक्ति से एडवांस टैक्स (Advance Tax) व सेल्फ असेसमेंट टैक्स (Self Assessment Tax)
  • Taxes Deducted at Source (TDS) के माध्यम से
  • Taxes Collected at Source (TCS) के माध्यम से
चालान भरने के पूर्व महत्वपूर्ण जानकारी
चालान 280 मे कर(Tax) के दायित्व को अलग-अलग भागों मे बाटा गया है|
  • एडवांस टैक्स (Advance Tax) – जब किसी व्यक्ति पर TDS काटने के बाद Tax Calculation करने पर दस हजार रूपये (10,00,0/-) से अधिक का कर दायित्व (Tax Liability) बनने पर निश्चित समय तक Tax भरना होता है
प्रथम किश्त
(1st Installment)
15 सितम्बर से पूर्वअनुमानित कर(Tax) का 30%
दूसरी किश्त
(2nd Installment)
15 दिसम्बर से पूर्वअनुमानित कर (Tax) का 60%
तीसरी किश्त
(3rd Installment)
15 मार्च से पूर्वअनुमानित कर (Tax) का 100%
यदि कभी कर(Tax) ज्यादा भरा भी जाये तो, इनकम टैक्स मे रिफंड (Refund) का भी प्रावधान है|
  • सेल्फ असेसमेंट टैक्स (Self Assessment Tax)– व्यक्ति की स्वयं की आय की गणना के बाद (मूल आय मे से, 80c से 80u की सभी छुट घटाने के बाद) की इनकम अधिक हो तो, टैक्स स्लेब के अनुसार उस पर ,टैक्स की गणना करके टैक्स भरेंगे|
एडवांस टैक्स (Advance Tax) व सेल्फ असेसमेंट टैक्स (Self Assessment Tax) व अन्य टैक्स जोकि, Challan 280 के दायरे मे आते है,को भरने के तरीके-
  • चालान को भरने के दो तरीके है (challan 280 type of payment)–
  1. ऑनलाइन चालान भरने का तरीका
  2. ऑफलाइन चालान भरने का तरीका
  • चालान की रसीद
  • चालान चेक करना
  • चालान सुधारना
ऑनलाइन चालान भरने का तरीका (challan 280 online e payment)
Step1– सबसे पहले TIN NSDL,INCOME TAX,OLTAS या अन्य किसी भी Website पर जाये|
उसमे चालान ITNS 280 को click करे|
Step2– चालान 280 पर click करने पर एक Form आयेगा |

Step3– सबसे पहले Code Select करेंगे|
  • किसी कम्पनी का चालान भरने के लिए (0020) को Select करे|
  • कम्पनी के अलावा किसी अन्य (व्यक्ति,फर्म,संस्था) के लिए (0021) को Select करेंगे|
Step4– Permanent Account No. (PAN No) डालेंगे|
  • Assessment Year – इनकम टैक्स के अनुसार आने वाले साल को Fill करेंगे|
जैसे – 2015-16 (यह वित्तीय वर्ष(Financial Year) जोकि, 01 अप्रैल 2015 से 31/03/2016 तक होगा|) जबकि
2015-16 का अग्रिम वर्ष (Assessment Year) 2016-2017 कहलायेगा|
  • Basic Details –
  • Full Name (जैसा की PAN Card मे हो)
  • Address ,City,State,Pin Code Fill करेंगे|
  • E-mail, Mobile No को Fill करे|
Step5 – भुगतान के प्रकार (Types Of Payment) को Select करेंगे|
जैसे- Advance Tax के लिये – (100) Advance Tax
बिल्कुल इसी तरह जो भी टैक्स भरना हो उसका Head Select करेंगे|
Step6 – Bank Name Select करे| Net Banking की site पर जाकर Login कर ID-Password डाले|

उपरोक्त Format मे ,
  • Account Select करे|
  • Basic व अन्य मे, टैक्स की Calculation कर Amount Fill करे|
Note-
  • Online challan280, को भरते वक्त सभी जानकारियों को ठीक से देखे और फिर भरे|
  • सबसे महत्वपूर्ण है PAN No. को सही भरे|
  • उसमे दिये गये * (mark)को देखे ,जहा भी * हो, उसे भरना आवश्यक है|
ऑनलाइन चालान की रसीद (Online challan 280 receipt)-

ऑनलाइन चालान का स्टेटस जानने की प्रकिया (Online challan 280 status Check)-
चालान को ऑनलाइन भरने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि, भरी गई तारीख से 3 दिन (Working Day) बाद आप भरे गये टैक्स की, जानकारी OLATS के माध्यम से ले सकते है|
CIN के आधार पर- कर दाता के सम्बन्ध मे निम्न जानकारिया आवशयक है,
  • BSR Code(बीएसआर कोड) बैंक का
  • जिस दिन चालान भरा है, वह तारीख (Date Of Deposit)
  • चालान नंबर
  • राशि (Amount)
  • मेजर हेड कोड (Major Head Code) उसकी detail सहित
  • इसका प्रारूप इस प्रकार है-
  • Tax Information Network of Income Tax Department
  • Challan Status for Tax Payer

TAN के आधार पर – बहुत कुछ मिलती जुलती प्रकिया है|
जिसकी जानकारी हम OLTAS की site पर भी देख सकते है|
इसके आलावा हम खुद मेन्युअल चालान Download भी कर सकते है, जैसे-
इन चालान को, हम बहुत ही आसानी से इनकम टैक्स की व अन्य कई Website से भी निकाल सकते है|
 ऑफलाइन चालान का प्रारुप (Offline Challan Format)-
  • यह चालान हिंदी व इंग्लिश दोनों मे उपलब्ध होते है|
  • बिल्कुल उसकी तरह ही भरे जाते है जिस तरह ,उपर ऑनलाइन चालान की Step दी गई है|
बैंक की Details भी उसी तरह से भरे जाते है

इसे भी उसी ही तरीके से भरेंगे जैसा कि, ऑनलाइन चालान मे बैंक की Details की Step बताई गई है|
  • इसमें अंत मे, हस्ताक्षर (Signature) करेंगे|
जिस तरह ऑनलाइन टैक्स की रसीद (Counter foil) मिलती है, ठीक उसी तरह ऑफलाइन भरे गये टैक्स की भी रसीद मिलती है|
ऑफलाइन चालान  की रसीद (Offline Challan receipt Counter foil)-

चालान 280 मे भूल-सुधार की प्रकिया (challan 280 correction Process)- चालान 280 मे, यदि भूलवश कोई त्रुटि या गलती हो जाये तो, उसे सुधारा जा सकता है| यह गलती कई प्रकार की हो सकती है, जैसे- PAN No., Assessment Year , Code(मेजर व माइनर दोनों), Amount , बैंक ब्रांच गलत भरना अन्य भी कई तरह की गलतिया हो सकती है जिसे टाइम रहते ही सुधारा जा सकता है| जिसका प्रावधान भी इनकम टैक्स मे किया गया है|
क्रमांकविषयसुधार की अवधि
1Assessment Year7 दिन के अंदर
2PAN No7 दिन के अंदर
3कर की राशि गलत भरने पर7 दिन के अंदर
इसके अलावा अन्य बड़ी गलतियों जैसे- Code(मेजर व माइनर दोनों,) होने पर तीन महीने के अंदर आप उसे अपने वकील के द्वारा सुधारवा सकते है|
इसके आलावा, व्यक्ति स्वयं या उसके वकील के माध्यम से, सम्बन्धित विभाग मे पदस्थ अधिकारी के समक्ष एक भूल-सुधार का आवेदन, प्रस्तुत कर सकते है|

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