Thursday 14 January 2016

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय जयंती निबंध प्रकट दिवस महत्व

by Amar Ujala Now  |  in निबंध at  00:01

Maharshi Valmiki Jayanti Date introduction Prakat Divas Mahatva Essay In Hindi महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय जयंती निबंध प्रकट दिवस महत्व जरुर पढ़े | आपको पाता चलेगा वाल्मीकि जी जो कि रामायण के रचियता थे वास्तव में एक डाकू थे |
वाल्मीकि जयंती अर्थात एक ऐसा दिन जब महान रचियता वाल्मीकि जी का जन्म हुआ | इनकी महान रचना से हमें महा ग्रन्थ रामायण का सुख मिला | यह एक ऐसा ग्रन्थ हैं जिसने मर्यादा, सत्य, प्रेम, भातृत्व, मित्रत्व एवम सेवक के धर्म की परिभाषा सिखाई |
वाल्मीकि जी के जीवन से बहुत सिखने को मिलता हैं उनका व्यक्तितव साधारण नहीं था | उन्होंने अपने जीवन की एक घटना से प्रेरित होकर अपना जीवन पथ बदल दिया जिसके फलस्वरूप वे महान पूज्यनीय कवियों में से एक बने | यही चरित्र उन्हें महान बनाता हैं और हमें उनसे सिखने के प्रति प्रेरित करता हैं |

Maharshi Valmiki Jeevan parichay Jivani

महर्षि वाल्मीकि जीवनी जीवन परिचय

1नाममहर्षि वाल्मीकि
2वास्तविक नामरत्नाकर
3पिताप्रचेता
4जन्म दिवसआश्विन पूर्णिमा
5पेशाडाकू , महाकवि
6रचनारामायण

Maharshi Valmiki Jeevan Katha

वाल्मीकि जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक घटना :

महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki) का नाम रत्नाकर था और उनका पालन जंगल में रहने वाली भील जाति में हुआ था जिस कारण उन्होंने भीलों की परंपरा को अपनाया और आजीविका के लिए डाकू बन गए | अपने परिवार के पालन पोषण के लिए वे राहगीरों को लुटते थे एवम जरुरत होने पर मार भी देते थे | इस प्रकार वे दिन प्रतिदिन अपने पापो का घड़ा भर रहे थे |
एक दिन उनके जंगल से नारद मुनि निकल रहे थे | उन्हें देख रत्नाकर ने उन्हें बंधी बना लिया | नारद मुनि ने उनसे सवाल किया कि तुम ऐसे पाप क्यूँ कर रहे हो ? रत्नाकर ने जवाब दिया अपने एवम परिवार के जीवनव्यापन के लिए | तब नारद मुनि ने पूछा जिस परिवार के लिए तुम ये पाप कर रहे हो क्या वह परिवार तुम्हारे पापो के फल का भी वहन करेगा ? इस पर रत्नाकर ने जोश के साथ कहा हाँ बिलकुल करेगा मेरा परिवार सदैव मेरे साथ खड़ा रहेगा | नारद मुनि ने कहा एक बार उनसे पूछ लो अगर वे हाँ कहेंगे तो मैं तुम्हे अपना सारा धन दे दूंगा | रत्नाकर ने अपने सभी परिवार जनों एवम मित्र जनों से पूछा लेकिन किसी ने भी इस बात की हामी नहीं भरी | इस बात का रत्नाकर पर गहरा आधात पहुँचा और उन्होंने दुराचारी के उस मार्ग को छोड़ तप का मार्ग चुना एवम कई वर्षो तक ध्यान एवम तपस्या की जिसके फलस्वरूप उन्हें महर्षि वाल्मीकि नाम एवम ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने संस्कृत भाषा में रामायण महा ग्रन्थ की रचना की |
इस प्रकार जीवन की एक घटना से डाकू रत्नाकर एक महान रचियता महर्षि वाल्मीकि बने |

Kaun the Maharshi Valmiki ?

कौन थे महर्षि वाल्मीकि ?

वाल्मीकि एक डाकू थे और भील जाति में उनका पालन पोषण हुआ लेकिन वे भील जाति के नहीं थे वास्तव में वाल्मीकि जी प्रचेता के पुत्र थे पुराणों के अनुसार प्रचेता ब्रह्मा जी के पुत्र थे | बचपन में एक भीलनी ने वाल्मीकि को चुरा लिया था जिस कारण उनका पालन पोषण भील समाज में हुआ और वे डाकू बने |
  • कैसे मिली रामायण लिखने की प्रेरणा ?

जब रत्नाकर को अपने पापो का आभास हुआ तब उन्होंने उस जीवन को त्याग कर नया पथ अपनाना लेकिन इस नए पथ के बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था |नारद जी से ही उन्होंने मार्ग पूछा तब नारद जी ने उन्हें राम नाम का जप करने की सलाह दी |
रत्नाकर ने बहुत लम्बे समय तक राम नाम जपा पर अज्ञानता के कारण भूलवश वह राम राम का जप मरा मरा में बदल गया जिसके कारण इनका शरीर दुर्बल हो गया उस पर चीटियाँ लग गई | शायद यही उनके पापो का भोग था | इसी के कारण इनका नाम वाल्मीकि पड़ा | पर कठिन साधना से उन्होंने ब्रह्म देव को प्रसन्न किया जिसके फलस्वरूप ब्रम्हदेव ने इन्हें ज्ञान दिया और रामायण लिखने का सामर्थ्य दिया जिसके बाद वाल्मीकि महर्षि (Maharshi Valmiki) ने रामायण को रचा | इन्हें रामायण का पूर्व ज्ञान था |
  • वाल्मीकि जी ने सबसे पहले श्लोक की रचना कैसे की ?

एक बार तपस्या के लिए गंगा नदी के तट पर गये वही पास में पक्षी का नर नारी का जोड़ा प्रेम में था | उसी वक्त एक शिकारी ने तीर मार कर नर पक्षी की हत्या कर दी उस दृश्य को देख  इनके मुख से स्वतः ही श्लोक निकल पड़ा जो इस प्रकार था :
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥’
अर्थात : जिस दुष्ट ने भी यह घृणित कार्य किया उसे जीवन में कभी सुख नहीं मिलेगा |उस दुष्ट ने प्रेम में लिप्त पक्षी का वध किया हैं |
इसके बाद महाकवि ने रामायण की रचना की |

Valmiki Ramayan Vivaran :

वाल्मीकि रामायण संक्षित विवरण :

वाल्मीकि महा कवी ने संस्कृत में महा काव्य रामायण की रचना की थी जिसकी प्रेरणा उन्हें ब्रह्मा जी ने दी थी | रामायण में भगवान विष्णु के अवतार राम चन्द्र जी के चरित्र का विवरण दिया हैं |इसमें  23 हजार श्लोक्स लिखे गए हैं | इनकी अंतिम साथ किताबों में वाल्मीकि महर्षि के जीवन का विवरण हैं |
Maharshi Valmiki ने राम के चरित्र का चित्रण किया उन्होंने माता सीता को अपने आश्रम में रख उन्हें रक्षा दी | बाद में, राम एवम सीता के पुत्र लव कुश को ज्ञान दिया |

Maharshi Valmiki Jayanti Date 2015

वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाती हैं ?

वाल्मीकि जी का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था इसी दिन को हिन्दू धर्म एवम कैलेंडर में वाल्मीकि जयंती कहा जाता हैं |
वाल्मीकि जयंती 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी |

Maharshi Valmiki Jayanti Mahatva

वाल्मीकि जयंती का महत्व :

वाल्मीकि जी (Maharshi Valmiki)आदि कवी थे | इन्हें श्लोक का जन्मदाता माना जाता हैं इन्होने ने ही संस्कृत के प्रथम श्लोक को लिखा था | इस जयंती को प्रकट दिवसके रूप में भी जाना जाता हैं |

Maharshi Valmiki Jayanti Celebration

कैसे मनाई जाती हैं वाल्मीकि जयंती ?

भारत देश में वाल्मीकि जयंती मनाई जाती हैं | खासतौर पर उत्तर भारत में इसका महत्व हैं |
  1. कई प्रकार के धार्मिक आयोजन किये जाते हैं |
  2. शोभा यात्रा सजती हैं |
  3. मिष्ठान, फल, पकवान वितरित किये जाते हैं |
  4. कई जगहों पर भंडारे किये जाते हैं |
  5. वाल्मीकि के जीवन का ज्ञान सभी को दिया जाता हैं ताकि उससे प्रेरणा लेकर मनुष्य बुरे कर्म छोड़ सत्कर्म में मन लगाये |
वाल्मीकि जयंती का महत्व हिन्दू धर्म में अधिक माना जाता हैं उनके जीवन से सभी को सीख मिलती हैं |
Maharshi Valmiki Jayanti Date introduction Prakat Divas Mahatva Essay महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय जयंती निबंध प्रकट दिवस महत्व से आपको पता चला कि कैसे एक डाकू महान कवी बन गया |कैसा लगा आपको यह विवरण ?

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