Beef Hoarding Controversy Gujarat Meat Ban During Jain Festivals Maharashtra In Hindi माँस के खिलाफ बंद के ऐलान ने फिर से सियासी भिड़त का रूप लिया |
मीट बैन को हटाया जाये लेकिन जानवरों को मारने पर पाबंदी
जैन पर्युषण पर्व पर माँस पर बंद का ऐलान किया गया था जिस पर व्यापारियों ने एक जुट होकर इसका विरोध किया और मुंबई हाई कोर्ट के दर पर दस्तक दी | हाई कोर्ट की सुनवाई में मीट पर लगे बैन को हटा दिया गया हैं |
अदालत ने इस बंद के संबंध में कई अहम् सवाल किये जिनके जवाब में सरकारी वकील उचित तर्क नहीं दे पाये | कोर्ट ने पूछा आपने यह बंद अहिंसा के पालन के लिए लगाये हैं लेकिन क्या कुछ दिन के इस बंद से अहिंसा बनी रहेगी | क्या आप घरो में जाकर लोगो को माँस खाने से रोकेंगे ? इस पर सरकारी वकील ने कहा कि मांस के लिए जानवरों को काटने पर रोक लगाई गई हैं | माँस खाने पर कोई पाबंदी नहीं हैं और मछली को इस बंद में शामिल नहीं किया गया क्यूंकि मछली पानी ने बाहर लाने पर स्वतः ही मर जाती हैं उसकी हत्या नहीं की जाती |
सभी दलीले सुनने के बाद कोर्ट ने मीट बैन को ख़ारिज किया लेकिन इन दिनों माँस के लिए जानवरों की हत्या करने की मनाई हैं बाहर से लाकर मान बेचा जा सकता हैं |
महाराष्ट में माँस बंद,गुजरात में गाय मॉस पर बने होर्डिंग विवाद
महाराष्ट्र में आठ दिन तक माँस बंद का ऐलान :
Meat Ban During Jain Festivals In Maharashtra
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि प्रदेश में आठ दिनों तक माँस की बिक्री नहीं की जायेगी | इस पर महाराष्ट्र सरकार ने मॉस बंद का ऐलान किया हैं जिसका कारण वो जैन धर्म में होने वाले आठ दिन के प्रयुशन पर्व को बता रहे हैं | यह बंद 11 सितम्बर से 18 सितम्बर तक रहेगा | उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह बंद किसी धार्मिक समुदाय को क्षति पहुँचाने की दृष्टि से नहीं रखा गया हैं |
मेयर गीता जैन ने भी यह स्पष्ट किया कि यह एक सामान्यतौर पर लिया गया निर्णय हैं |उन्होंने के कहा यह निर्णय वोटिंग के जरिये लिया गया हैं लेकिन शिव सेना भी इस निर्णय का विरोध कर रही हैं |इस पर नीलम धवन ने मिडिया से बात करते हुए कहा प्रदेश में समान धर्म के लोग नहीं रहते | जैन कॉमुनिस्म के लोग बहुत कम हैं | ऐसे में अगर इस तरह के बंद किये जायेंगे तो लोगो में गुस्सा बढ़ेगा | बंद एक दिन का नहीं हैं लम्बे समय के इस बंद से व्यापारी वर्ग को भी नुकसान होगा |
मौके के फ़िराक में बैठी पॉलिटिकल पार्टीस ने इसे बीजेपी के खिलाफ एक मुदा बना कर विरोध शुरू कर दिया हैं इसमें उन्होंने कहा हैं कि यह RSS की मनमानी हैं | इस तरह से बंद का ऐलान करना मीट व्यापारियों की दृष्टि से गलत हैं |
महाराष्ट्र में भी गास माँस (Beef Meat) भी निषेध हैं जिसकी बिक्री पर पाँच साल की सजा, 10 रूपये के जुर्माना की सजा हैं |
Beef Hoarding Controversy In Gujarat
गाय का माँस सेहत के लिए हानिकारक होर्डिंग विवाद :
वही दूसरी तरफ गुजरात में एक होर्डिंग को लेकर विवाद जारी हैं | इस होर्डिंग पर लिखा गया हैं कि कुरान के अनुसार गाय का माँस खाना गलत हैं | गाय का माँस शरीर के लिए हानिकारक हैं | उस होर्डिंग पर गुजरात मुख्यमंत्री आनंदी की तस्वीर भी हैं |
जब यह होर्डिंग सबकी की नजर में आया और इसके बारे में प्रशासन से बातचीत की गई तो किसी के पास इस होर्डिंग की जानकारी नहीं मिली |
होर्डिंग पर लिखी पंक्तियों के बारे में पूछने पर इस्लाम प्रवक्ता एवम नेता के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं | गुजरात के मुस्लिम का कहना हैं कि कुरान में लिखा गया हैं कि गाय माँस खाना गलत हैं | वही ओवैसी जी का कहना हैं कि कुरान में ऐसा कोई जिक्र नहीं हैं पर कुरान में गाय काटने का जिक्र भी नहीं हैं उसमे केवल बकरे के बारे में ही लिखा गया हैं | वही यह भी सुनने में आया कि मुग़ल शासन के समय भी गाय की बलि नहीं दी जाती थी यह प्रथा अंग्रेजो ने देश में शुरू की | इस तरह यह मुद्दा बढ़ता ही जा रहा हैं |
कई नेताओं का मानना हैं कि इस तरह के बंद अगर करना हैं ही हैं तो दुसरे प्राणी भी निर्दोष हैं उन पर क्यूँ दया दिखाई नहीं जा रही |
गाय के माँस पर बंद के बाद जब महाराष्ट्र सरकार ने आठ दिन का मॉस पर बंद कर दिया तो मामल गंभीर हो गया | ऐसे में वो व्यापारी कहा जाये जिसकी रोजी इसी पर चलती हैं | इस तरह के बंद के कारण लोग बीजेपी सरकार से कहीं न कहीं नाखुश हैं | जहाँ एक तरफ सभी स्वतंत्र देश के नागरिक हैं वही इस तरह के बंद नागरिको की भावनाओं और निजी जिन्दगी को आहात पहुंचाते हैं |
आखिर गुजरात में यह होर्डिंग किसने लगाया इस बात पर कोई जानकारी सामने नहीं आई हैं | मुस्लिम नेताओं का कहना कि यह सब मुस्लिम लीग के लोगो को भटकाने के लिए किया गया हैं | बकरीद नजदीक हैं शायद इसी कारण इस तरह के मुद्दे सियासी गलियारों में तेज होते दिखाई दे रहे हैं |
वही महाराष्ट्र में इस तरह से जैन पर्व पर माँस बंद के ऐलान पर भी साम्प्रदायिक मतभेद सामने आ रहा हैं | माँस न खाने के लिए सभी को बाध्य करना स्वतंत्र देश में गलत हैं |
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