Bakrid kahani Mahtva Date History Shayari Importance In Hindi बकरीद की कहानी महत्व इतिहास एवम सच जानने के लिए जरुर पढ़े | बकरीद इस्लाम धर्म में सबसे अधिक मनाये जाने वाले त्यौहारों में से एक हैं | एक जश्न की तरह इस त्यौहार को मनाने की रीत हैं | इस मौके पर बाजारों में बाजारी बढ़ जाती हैं | ना ना प्रकार की वस्तुओं के साथ मुस्लिम जश्न मनाते हैं | लेकिन इस सबसे बढ़कर Bakrid का दिन कुर्बानी के लिए याद रखा जाता हैं | इस दिन इस्लाम से जुड़ा हर शख्स खुदा के सामने सबसे करीबी को कुर्बान करता हैं इसे ईद-उल-जुहा के नाम से जाना जाता हैं |
Bakrid Festival 2015 Date :
Bakrid Essay in Hindi
बकरीद कब हैं ?
यह कुर्बानी का त्यौहार रमजान के दो महीने बाद आता हैं इसमें कुर्बानी का महत्व बताया गया हैं | इस वर्ष 2015 में Bakrid 23 सितम्बर को मनाई जायेगी | इसे खास तौर पर हज के बाद इस्लामिक संकृति में किया जाता हैं |इस्लामिक कैलंडर के अनुसार इसकी शुरुवात 10 धू-अल-हिज्जाह से हो कर हैं और खत्म 13 धू-अल-हिज्जाह पर होगी |इस प्रकार यह इस्लामिक कैलंडर के बारहवे माह के दसवे दिन मनाये जाते हैं |
Bakrid Ka Mahtva
बकरीद का महत्व :
बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता हैं :
आमतौर पर हम सभी जानते हैं कि बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं | मुस्लिम समाज में बकरे को पाला जाता हैं | अपनी हेसियत के अनुसार उसकी देख रेख की जाती हैं और जब वो बड़ा हो जाता हैं उसे Bakrid के दिन अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं जिसे फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता हैं | क्या आप जानते हैं कि किस तरह से यह दिन शुरू हुआ ?
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बकरीद की कहानी इतिहास :
इस इस्लामिक त्यौहार के पीछे एक एतिहासिक तथ्य छिपा हुआ हैं जिसमे कुर्बानी की ऐसी दास्तान हैं जिसे सुनकर ही दिल कांप जाता हैं | बात उन हजरत इब्राहीम की हैं जिन्हें अल्लाह का बंदा माना जाता हैं, जिनकी इबादत पैगम्बर के तौर पर की जाती हैं| जिन्हें हर एक इस्लामिक द्वारा अल्लाह का दर्जा प्राप्त हैं, जिसे इस औदे से नवाज़ा गया उस शख्स का खुद खुदा ने इम्तहान लिया था |
बात कुछ ऐसी हैं : खुदा ने हजरत मुहम्मद साहब का इम्तिहान लेने के लिए उन्हें यह आदेश दिया कि वे तब ही प्रसन्न होंगे, जब हज़रत अपने बेइंतहा अज़ीज़ को अल्लाह के सामने कुर्बान करेंगे | तब हज़रत इब्राहीम ने कुछ देर सोच कर निर्णय लिया और अपने अज़ीज़ को कुर्बान करने का तय किया | सबने यह जानना चाहा कि वो क्या चीज़ हैं जो हज़रत इब्राहीम को सबसे चहेती हैं जिसे वो आज कुर्बान करने वाले हैं | तब उन्हें पता चला कि वो अनमोल चीज़ उनका बेटा हजरत इस्माइल हैं जिसे वो आज अल्लाह के लिए कुर्बान करने जा रहे हैं | यह जानकर सभी भौंचके से रह गये | कुर्बानी का समय करीब आ गया | बेटे को इसके लिए तैयार किया गया, लेकिन इतना आसान न था| इस कुर्बानी को अदा करना इसलिए हज़रत इब्राहीम ने अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली और अपने बेटे की कुर्बानी दी | जब उन्होंने आँखों पर से पट्टी हटाई तब अपने बेटे को सुरक्षित देखा | उसकी जगह इब्राहीम के अज़ीज़ बकरे की कुर्बानी अल्लाह ने कुबूल की | हज़रत इब्राहीम के कुर्बानी के इस जस्बे से खुश होकर अल्लाह ने उसके बच्चे की जान बक्श दी और उसकी जगह बकरे की कुर्बानी को कुबूल किया गया |
तब ही से कुर्बानी का यह मंज़र चला आ रहा हैं जिसे बकरीद ईद-उल-जुहा के नाम से दुनियाँ जानती हैं |
बकरीद का सच :
इसके आलावा इस्लाम में हज करना जिंदगी का सबसे जरुरी भाग माना जाता हैं | जब वे हज करके लौटते हैं तब Bakrid पर अपने अज़ीज़ की कुर्बानी देना भी इस्लामिक धर्म का एक जरुरी हिस्सा हैं जिसके लिए एक बकरे को पाला जाता हैं | दिन रात उसका ख्याल रखा जाता हैं | ऐसे में उस बकरे से भावनाओं का जुड़ना आम बात हैं | कुछ समय बाद बकरीद के दिन उस बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं | ना चाहकर भी हर एक इस्लामिक का उस बकरे से एक नाता हो जाता हैं फिर उसे कुर्बान करना बहुत कठिन हो जाता हैं | इस्लामिक धर्म के अनुसार इससे कुर्बान हो जाने की भावना बढती हैं | इसलिए इस तरह का रिवाज़ चला आ रहा हैं |
कैसे मनाई जाती हैं बकरीद
- सबसे पहले ईद गाह में ईद सलत पेश की जाती हैं |
- पुरे परिवार एवम जानने वालो के साथ मनाई जाती हैं |
- सबके साथ मिलकर भोजन लिया जाता हैं |
- नये कपड़े पहने जाते हैं |
- गिफ्ट्स दिए जाते हैं | खासतौर पर गरीबो का ध्यान रखा जाता हैं उन्हें खाने को भोजन और पहने को कपड़े दिये जाते हैं |
- बच्चों अपने से छोटो को इदी दी जाती हैं |
- ईद की प्रार्थना नमाज अदा की जाती हैं |
- इस दिन बकरे के अलावा गाय, बकरी, भैंस और ऊंट की कुर्बानी दी जाती हैं |
- कुर्बान किया जाने वाला जानवर देख परख कर पाला जाता हैं अर्थात उसके सारे अंग सही सलामत होना जरुरी हैं | वह बीमार नही होना चाहिये | इस कारण ही बकरे का बहुत ध्यान रखा जाता हैं |
- बकरे को कुर्बान करने के बाद उसके मांस का एक तिहाई हिस्सा खुदा को, एक तिहाई घर वालो एवम दोस्तों को और एक तिहाई गरीबों में दे दिया जाता हैं |
इस प्रकार इस्लाम में Bakrid का त्यौहार मनाया जाता हैं | हर त्यौहार प्रेम और शांति का प्रतीक होते हैं जिस प्रकार इस्लाम में कुर्बानी का महत्व होता हैं उसी प्रकार हिन्दू में त्याग का महत्व होता हैं | दोनों का आधार अपने आस – पास प्रेम देना और उनके जीवन के लिए कुर्बानी अथवा त्याग करना हैं इसी भावना के साथ सभी धर्मों में त्यौहार मनाये जाते हैं | लेकिन कलयुग के इस दौर में त्यौहारों के रूप बदलते जा रहे हैं और ये कहीं न कहीं दिखावे की तरफ रुख करते नज़र आ रहे हैं |
Bakrid Mubarak Shayari
बकरीद मुबारक की शायरी
- कुर्बान-ए-फर्ज अदा कर
तेरे द्वार पर खड़ा हूँ मौला
रेहमत बक्श मुझ पर
पूरा कर सकू हर शख्स की दुआ
===================== - हज का अदा कर आया हूँ
तेरे दीदार को खड़ा हूँ खुदा
मुझमे इतनी नेकी बक्श दे
कि कोई गरीब ना सोये भूख
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- ईद के खास मौके पर
दिल से दिल मिलालो
गिले शिकवे भुलाकर
आज गले से सबको लगालो ||
==================== - अल्लाह से हैं गुजारिश
पूरी करना मेरे अपनों की ख्वाइश
जस्बातों से भरा हैं मुल्क मेरा
सभी को सिखा क्या तेरा, क्या मेरा
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- मेरी इदी में इतनी बरकत दे मौला
पेट भर सकू हर किसी का
इस जहान में ना सोये कोई भूखा
ऐसा रहम बक्श दे मेरे कर्मो में खुदा
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