Tuesday 29 December 2015

संत तुकाराम की एक सच्ची कहानी

by Amar Ujala Now  |  in कहानिया at  01:52

यह संत तुकाराम के जीवन की एक कहानी हैं | जब वह महाराष्ट्र में रहते थे |उसी दौरान शिवाजी महाराज ने उन्हें बहुमूल्य वस्तुएं भेंट में भेजी जिनमें हीरे, मोती, स्वर्ण और कई वस्त्र थे | परन्तु संत तुकाराम ने सभी बहुमूल्य वस्तुए वापस भिजवा दिए और कहा – “हे महाराज ! मेरे लिए यह सब व्यर्थ हैं मेरे लिए स्वर्ण और मिट्टी में कोई अन्तर नहीं हैं जब से इस परमात्मा ने मुझे अपने दर्शन दिए हैं मैं स्वतः ही तीनों लोकों का स्वामी बन गया हूँ | यह सब व्यर्थ सामान वापस देता हूँ |” जब यह सन्देश महाराज शिवाजी के पास पहुंचा तब महाराज शिवाजी का मन ऐसे सिद्ध संत से मिलने के लिए व्याकुल हो उठा और उन्होंने उसी वक्त उसने मिलने के लिए प्रस्थान किया |

Moral Of The Story:
एक सिध्द आत्मा को किसी तरह के भोग विलास की लालसा नहीं होती | और आज के वक्त में इस बात का ध्यान रखने की आवश्यकता हैं | भगवा चोला पहने हर व्यक्ति को ईश्वर का बंदा मानने की गलती ना करें | हमारी धार्मिक भावना बहुत बहुमूल्य हैं जिसके साथ किसी को भी खिलवाड़ करने का मौका ना दे |
किसी गलत को स्वीकारने से अच्छा हैं कि अपनी गलती मान कर उसे ठीक करें | 

1 comment:

  1. गुलजारी लाल नंदा के बारे में शानदार लेख

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