स्वतंत्र भारत के चौथे राष्ट्रपति वी वी गिरी (V V Giri) का जन्म 10 अगस्त, 1894 को बेहरामपुर, ओड़िशा में हुआ था| वी.वी. गिरी (V V Giri) के पिताजी का नाम वी.वी. जोगिआह पंतुलु था|वी वी गिरी (VV Giri)एक वकील और स्थानीय बार काउंसिल के नेता थे| वी. वी. गिरी जी (VV Giri) की स्कूली शिक्षा बेहरामपुर में ही संपन्न हुई। सन 1913 में इनकी (V V Giri) मुलाकात गांधीजी से हुई, जिन्होंने उन्हें गहराई तक प्रभावित किया और ये एहसास दिलाया की भारत की आज़ादी कितनी जरुरी है, भारत वासियों के लिए|इसके बाद वे (V V Giri) 1913 में कानून की शिक्षा ग्रहण करने के लिए ‘डब्लिन यूनिवर्सिटी’ आयरलैंड चले गए।
वहां उनकी (V V Giri) मुलाकात डी वलेरा से हुई, जो एक प्रसिद्ध ब्रिटिश विद्रोही थे और उनसे प्रभावित होकर वे आयरलैंड की स्वतंत्रता के लिए चल रहे ‘सिन फीन आंदोलन’ से जुडे और अपना योगदान दिया| दंड स्वरुप उन्हें (VV Giri) इस आयरलैंड से बाहर निकल दिया गया| स्वतंत्रता के इस आंदोलन में उनकी मुलाकात इमोन दे वलेरा, माइकल कॉलिंस,डेस्मंड,जेम्स कोन्नाली आदि जैसे महान स्वतंत्रतासेनानीयों से हुई जिनसे इनके निकट संबंद्ध बन गए थे| इनसे प्रभावित हो कर और सलाह ले कर, 1916 में वे भारत वापस लौट आये|
आज जो हमारे देश में श्रमिक और मजदूरों चाहे वे किसी भी जगह काम कर रहे हों अपने हक़ के लिए आवाज उठा सकते है| मजदूरों और श्रमिक की ताकत दिन पे दिन बढ़ी है और इस बात का श्रेय एक ही इन्सान को जाता है वो है समाज सुधारक वी वी गिरी(V V Giri)| बहुत बहुत धन्यवाद है इनका (V V Giri) कि इन्होंने श्रमिक मजदूरों को आवाज उठाने की ताकत दी, वी वी गिरी (V V Giri) की वजह से ही श्रमिक मजदूरों को एक नयी आवाज मिली| ये सब हो पाया है वी वी गिरी जी (VV Giri) के प्रयास एवं नेतृत्व से| गिरी जी (V V Giri) को हमेशा सहानुभूति और चिंता होती थी निचले स्तर के श्रमिक मजदूरों से|
1916 में भारत लौटने के बाद V V Giri श्रमिक और मजदूरों के लिए चल रहे आंदोलन में जुड़ गए। उन्होंने बंगाल-नागपुर रेलवे एसोसिएशन की भी स्थापना की रेलवे कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से| अपने जीवन काल में श्रमिकों और मजदूरों के हितों के लिए हमेशा प्रयासरत रहे| वी वी गिरी (V V Giri) जी का राजनैतिक सफ़र आयरलैंड में उनकी पढाई के दौरान ही शुरू हो गया था| गाँधीजी की बातों से प्रभावित हो कर एवं स्वतंत्रता आंदोलनों से जुड़ने के पश्चात् उन्होंने कानून की पढाई से ज्यादा महत्व स्वतंत्रता की लड़ाई को दिया| इसके लिए वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बन वह पूर्ण रूप से स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े|
अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी संघ और अखिल भारतीय व्यापार संघ (कॉग्रेस) के अध्यक्ष के रूप में वी वी गिरी जी (V V Giri) को चुना गया| सन 1934 में इम्पीरियल विधानसभा के भी सदस्य नियुक्त हो गए| सन 1936 में मद्रास आम चुनावों में वी.वी. गिरी (V V Giri) को कॉग्रेस प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया गया जिसमे उन्हें विजय प्राप्त हुई| सन 1937 में मद्रास में कॉग्रेस पार्टी द्वारा बनाए गए श्रम एवं उद्योग मंत्रालय में मंत्री के रूप में वी वी गिरी जो को नियुक्त किया गया|
1942 में इन्होंने (VV Giri) भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई जिसके लिए इन्हें जेल यातनाये भी झेलनी पड़ी| 1947 में जब स्वतंत्रता मिल गई तत्पश्चात वी वी गिरी (V V Giri) जो को सिलोन(श्री लंका) में भारत के उच्चायुक्त पद से नवाज़ा गया| सन 1952 में वह पाठापटनम सीट से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बन गए| श्रम मंत्री के तौर पर इन्होंने 1954 तक बहुत उंदा कार्य किया| जिसके लिए उनको 1975 में भारत रत्न देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा गया|
उत्तर प्रदेश, मैसूर एवं केरल के वे राज्यपाल भी रहे| डॉ जाकिर हुसैन जब राष्ट्रपति थे 1967 तब वी वी गिरी को उपराष्ट्रपति बनाया गया| 3 मई 1969 को डॉ जाकिर हुसैन की अकाल मृत्यु के बाद रिक्त राष्ट्रपति पद को भरने के लिए वी वी गिरी जी (V V Giri) को राष्ट्रपति बना दिया गया| 1969 को जब राष्ट्रपति चुनाव हुए तब इंदिरा गाँधी जी द्वारा वी वी गिरी (VV Giri) को फिर से राष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त किया गया| वी वी गिरी जी (V V Giri) ने सन 1969 से 1974 तक इस पद की गरिमा बढाई|
वी वी गिरी जी (V V Giri) को किताब लेखन में भी रूचि थी उनके द्वारा लिखी हुई किताबे श्रमिकों की समस्याएं अत्यधिक लोकप्रिय रही| 23 जून 1980 चेन्नई में 85 वर्ष की आयु में वी वी गिरी जी (V V Giri) का निधन हो गया| श्रमिकों के उत्थान और देश की स्वतंत्रता के लिए तत्पर वी वी गिरी जी (VV Giri) के उत्कृष्ट योगदान को सदेव याद किया जाएगा|
Indian President ‘V V Giri’ Facts In Hindi यह ब्लॉग हिंदी पाठको की सुविधा के लिए लिखा गया हैं | अगर लिखी गई जानकारी के अलावा आप कुछ Indian President ‘V V Giri’ Facts के बारे में कुछ कहना चाहते हैं तो हमे कमेंट बॉक्स में लिखे |
0 comments: