वी.पी. सिंह(1931–2008)
यह India के आठवे Prime Minister थे, राजीव गाँधी के बाद जनता दल को election में जीत हासिल हुई और इस तरह 1989 में वी.पी. सिंह सत्ता के उच्च पद पर आसीन हुए | इनका रुझान राजीनीति की तरफ हमेशा से ही था जिसके लिए इन्होने कठिन परिश्रम किये |
इनका पूरा नाम विश्वनाथ प्रताप सिंह था| इनका जन्म दिन 25 जून 1931 में इलाहाबाद के धनी परिवार में हुआ |इनके पिता का नाम राजा बहादुर राय गोपाल सिंह था | इनका अध्ययन इलाहाबाद और पुणे से हुआ | पढाई के समय से ही इन्हें राजनीति में interest रहा इसलिए यह छात्र union के अध्यक्ष रहे |इन्हें कविताये लिखने का काफी शौक था इसलिए इन्होने किताबे भी लिखी | इन्होने छात्र काल में बहुत से आन्दोलन किये और उनका नेतृत्व सम्भाला , इसलिए इनका सत्ता के प्रति प्रेम बढ़ता गया | यह एक समृध्द परिवार से थे पर इन्हें धन दौलत से इतना प्रेम ना था ,देश प्रेम के चलते इन्होने भी भू दान में अपनी सारी सम्पति दान करी दी और परिवार ने इनसे नाता तौड़ दिया |
यह एक कुशल राजनीतिज्ञ थे ,1969 में, उत्तरप्रदेश में,यह Legislative Assembly के सदस्य बनाये गए ,इस वक्त यह काँग्रेस के नेता थे |1971 में निचली संसदीय लोकसभा का election जीता | 1974 में इन्दिरा गाँधी ने इन्हें deputy minister (commerce) बनाया गया| यह 1976-1977 तक Minister (commerce) रहे | 1980 में जब इन्दिरा वापस सत्ता में आई उस वक्त यह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने | 1982 तक यह इस पद पर रहे, इसके बाद वापस 1983 में इन्होने commerce minister का पद सम्भाला | 1984 में जब राजीव गाँधी ने सत्ता सम्भाली| तब यह Finance Minister के पद पर आसीन किये गये | कुछ समय बाद 1987 में इन्हें defense minister का पद दे दिया गया |
इन्हें काँग्रेस पर हो रहे, गाँधी परिवार के हक़ से काफी निराशा थी, इसलिए इन्हें राजीव गाँधी के साथ कार्य करने में कठिनाइयों का सामना किया| राजीव गाँधी के समय हुए, बोफोर्स कांड से काँग्रेस की छवि पूरी तरह बिगड़ गई| इस वक्त सिंह ने इन परिस्थितियों में जनता दल का गठन किया और काँग्रेस के विरुध्द प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया | अंततः 1989 में जनता दल को भारी बहुमत से विजय प्राप्त हुई और इन्हें Prime Minister बनाया गया
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इनकी छवि कुछ खास नहीं बन पाई | इनमे दूरदर्शिता एवम धैर्यता की कमी थी, जिस कारण देश की कश्मीर समस्या ने और अधिक तीव्रता का रूप ले लिया| इनके गलत निर्णयों के कारण देश में जातिवाद और अधिक गम्भीर हो गया, एक सफल रानीतिज्ञ बनने के लिए इन्होने आरक्षण को और अधिक बढ़ावा दे दिया, जिससे देश में असंतोष उत्तपन हो गया| इनके कारण युवा वर्ग में बहुत असंतोष बड़ गया जिस कारण युवकों ने आत्महत्या को स्वीकार किया | इनका कार्यकाल सराहनीय नहीं रहा | इनमे नेतृत्व की शक्ति की कमी थी, इन्हें एक जुटता में कार्य करना स्वीकार नहीं था, जिस कारण इन्हें स्वार्थी कहा गया | इन्होने क्यक्तिगत सफलता पर अधिक जोर दिया| इसलिए यह असफल leader साबित हुए |इनका कार्यकाल 2 दिसम्बर 1989-10नवम्बर1990 तक ही था पर इतने ही दिनों में उन्होंने भारत की स्थिती को और अधिक बिगाड़ दिया | इन दिनों देश में बाहरी लोगो से काफी देहसत थी, आतंकी हमले बड़ रहे थे, हमारे तीन Prime Minister मार दिए गये थे जो कि बहुत बड़ी हार थी उस नाजुक दौर में एक सफल राजनीति के आवश्यकता थी परन्तु वी.पी सिंह का दौर और भी कष्टप्रद रहा, इन्होने देश में और अधिक कम्पन उत्तपन कर दिया |
यह India के आठवे Prime Minister थे, राजीव गाँधी के बाद जनता दल को election में जीत हासिल हुई और इस तरह 1989 में वी.पी. सिंह सत्ता के उच्च पद पर आसीन हुए | इनका रुझान राजीनीति की तरफ हमेशा से ही था जिसके लिए इन्होने कठिन परिश्रम किये |
इनका पूरा नाम विश्वनाथ प्रताप सिंह था| इनका जन्म दिन 25 जून 1931 में इलाहाबाद के धनी परिवार में हुआ |इनके पिता का नाम राजा बहादुर राय गोपाल सिंह था | इनका अध्ययन इलाहाबाद और पुणे से हुआ | पढाई के समय से ही इन्हें राजनीति में interest रहा इसलिए यह छात्र union के अध्यक्ष रहे |इन्हें कविताये लिखने का काफी शौक था इसलिए इन्होने किताबे भी लिखी | इन्होने छात्र काल में बहुत से आन्दोलन किये और उनका नेतृत्व सम्भाला , इसलिए इनका सत्ता के प्रति प्रेम बढ़ता गया | यह एक समृध्द परिवार से थे पर इन्हें धन दौलत से इतना प्रेम ना था ,देश प्रेम के चलते इन्होने भी भू दान में अपनी सारी सम्पति दान करी दी और परिवार ने इनसे नाता तौड़ दिया |
यह एक कुशल राजनीतिज्ञ थे ,1969 में, उत्तरप्रदेश में,यह Legislative Assembly के सदस्य बनाये गए ,इस वक्त यह काँग्रेस के नेता थे |1971 में निचली संसदीय लोकसभा का election जीता | 1974 में इन्दिरा गाँधी ने इन्हें deputy minister (commerce) बनाया गया| यह 1976-1977 तक Minister (commerce) रहे | 1980 में जब इन्दिरा वापस सत्ता में आई उस वक्त यह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने | 1982 तक यह इस पद पर रहे, इसके बाद वापस 1983 में इन्होने commerce minister का पद सम्भाला | 1984 में जब राजीव गाँधी ने सत्ता सम्भाली| तब यह Finance Minister के पद पर आसीन किये गये | कुछ समय बाद 1987 में इन्हें defense minister का पद दे दिया गया |
इन्हें काँग्रेस पर हो रहे, गाँधी परिवार के हक़ से काफी निराशा थी, इसलिए इन्हें राजीव गाँधी के साथ कार्य करने में कठिनाइयों का सामना किया| राजीव गाँधी के समय हुए, बोफोर्स कांड से काँग्रेस की छवि पूरी तरह बिगड़ गई| इस वक्त सिंह ने इन परिस्थितियों में जनता दल का गठन किया और काँग्रेस के विरुध्द प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया | अंततः 1989 में जनता दल को भारी बहुमत से विजय प्राप्त हुई और इन्हें Prime Minister बनाया गया
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इनकी छवि कुछ खास नहीं बन पाई | इनमे दूरदर्शिता एवम धैर्यता की कमी थी, जिस कारण देश की कश्मीर समस्या ने और अधिक तीव्रता का रूप ले लिया| इनके गलत निर्णयों के कारण देश में जातिवाद और अधिक गम्भीर हो गया, एक सफल रानीतिज्ञ बनने के लिए इन्होने आरक्षण को और अधिक बढ़ावा दे दिया, जिससे देश में असंतोष उत्तपन हो गया| इनके कारण युवा वर्ग में बहुत असंतोष बड़ गया जिस कारण युवकों ने आत्महत्या को स्वीकार किया | इनका कार्यकाल सराहनीय नहीं रहा | इनमे नेतृत्व की शक्ति की कमी थी, इन्हें एक जुटता में कार्य करना स्वीकार नहीं था, जिस कारण इन्हें स्वार्थी कहा गया | इन्होने क्यक्तिगत सफलता पर अधिक जोर दिया| इसलिए यह असफल leader साबित हुए |इनका कार्यकाल 2 दिसम्बर 1989-10नवम्बर1990 तक ही था पर इतने ही दिनों में उन्होंने भारत की स्थिती को और अधिक बिगाड़ दिया | इन दिनों देश में बाहरी लोगो से काफी देहसत थी, आतंकी हमले बड़ रहे थे, हमारे तीन Prime Minister मार दिए गये थे जो कि बहुत बड़ी हार थी उस नाजुक दौर में एक सफल राजनीति के आवश्यकता थी परन्तु वी.पी सिंह का दौर और भी कष्टप्रद रहा, इन्होने देश में और अधिक कम्पन उत्तपन कर दिया |
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