Monday 21 December 2015

Indian Prime Minister ‘P.V. Narsimha Rav’ Facts

by Amar Ujala Now  |  in सामान्य ज्ञान at  22:48

P.V. Narsimha Rao (1921-2004)

राव जी भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री थे| यह south से बनने वाले पहले प्रधानमंत्री थे | यह असंख्य प्रतिभा के घनी थे | कई विधाओं का ज्ञान प्राप्त था | यह 1991-1996 के बीच भारत के प्रधानमंत्री थे |इन्हें संगीत, साहित्य एवम कला में विशेष रूचि अवन ज्ञान भी प्राप्त था | इन्हें विभिन्न भाषाओँ का ज्ञान प्राप्त था इन्हें भारतीय भाषाओँ के साथ स्पेनिश और फ़्रांसिसी भाषाओँ का भी ज्ञान था | यह बहुत शौक़ीन थे, इन्हें फ़िल्मी दुनिया से भी प्रेम था | राजनीति के साथ इन जगहों में भी रूचि होना इन्हें सबसे अलग बनाता था | यह कर्मठ व्यक्ति थे जो डींगे हांकने के बजाय करने में विश्वास रखते थे |



इनका जन्म 28 June 1921 को AndhraPradesh के छोटे से village Karim Nagar में हुआ इनके पिता पी. रंगा थे | इनका पूरा नाम पामुलापति वेंकट राव था इनके बहुत करीबी इस नाम से परिचित रहे | इनका अध्ययन उस्मानिया विश्वविद्यालय से प्रारंभ हुआ | इनकी उच्चतम शिक्षा Bombay एवम Nagpur से हुई |
यह भारत में एक Indian lawyer, Freedom Fighter एवम Politition के रूप में जाने जाते है | इन्होने भारतीय राजनीति में बहुत अहम role अदा किया | इन्होने बहुत से economic परिवर्तन किये इसलिए इन्हें “Father of Indian Economic Reforms” भी कहा जाता है |इनके द्वारा लिए गए गंभीर फैसलों को आगामी प्रधानमत्री ने भी जारी रखा |इन्होने Dr. Manmohan Singh को Finance Minister बनाया | राव के आदेष पर Dr. Manmohan ने International Monetary Fund policy start की जिसके कारण bank corruption में काफी कमी आई |राव को भारतीय संस्कृति से काफी लगाव था भारत के president A.P.J Abdul Kalam ने इनके लिए कहा था कि यह ऐसे देशभक्त है जो देश को राजनीति से सर्वोपरी मानते है | राव का Prime Minister के रूप में मिली प्रसिध्दी आज भी सजीव है | राव के कार्यकाल में ही उन्होंने परमाणु के परिक्षण की तरफ जोर दिया पर 1996 के centeral election के कारण यह उस वक्त सम्भव नहीं हुआ बाद में परमाणु का सफल परिक्षण BJP के Vajpeyee ji ने करवाया | उस वक्त congress के सामने Bhartiy Janta Party ने देश में एक प्रबल दावेदारी साबित कर दी थी | राव के कार्यकाल में देश में हिन्दू मुस्लिम लड़ाई जोरो पर भी बाबरी मस्जिद और राम मंदिर को लेकर देश में बहुत अशांति जिसे भड़का कर देश के अन्य नेता अपनी राजनीति खेल रहे थे | सांप्रदायिक लड़ाई हमेशा ही देश की प्रगति में बाधक है जो कि आज तक देश में व्याप्त है | इन्ही सब घटनाओ जैसे इन्दिरा गाँधी की मौत के बाद देश में फैली अशांति, बाबरी मस्जिद के टूटने के कारण हुए दंगे इन्हें बहुत परेशनियों का सामना करना पड़ा इन्हें भ्रष्ट्राचारी होने का आरोप भी झेलना पड़ा पर इन्होने किसी भी आरोप पर अपने मत नहीं रखे इसलिए इन्हें गूंगा प्रधानमत्री कहा गया | इन पर सांसदों को रिश्वत देकर अपनी तरफ कर लेने के भी आरोप लगे | हर्षद मेहता ने इन पर 1 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगाया |सांप्रदायिक झगड़ो ने उस वक्त भारत में आतंक फैला रखा था जिससे पर काबू पाना बहुत मुश्किल था | आंतकी ताकतों और सत्ता लोभियों ने इन परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाया | परिस्थितियों के कारण PrimeMinister बनना तो आसान था पर उसका निर्वाह करना बहुत कठिन हो गया था |इन्दिरा के कार्यकाल के दौरान वह गृहमंत्री थे, उस वक्त भी इन पर कई सवाल उठाये गए | राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद यही एक प्रबल दावेदार लगे इसलिए इनका नाम प्रधामंत्री के पद के लिए सामने आया | इनका स्वास्थ्य बहुत ख़राब रहता था लेकिन अपने दायित्वों का निर्वाह बहुत दिल से किया |इनके दिल में देश प्रेम अपार था | स्वतंत्रता सेनानी से प्रधानमंत्री के पद तक इनमे देशहित बहुत प्रबल था परन्तु इन पर भी कई भ्रष्ट्राचारी आरोप लगे | यह पहले south Indian primeminister तो थे ही पर नेहरु एवम गाँधी परिवार के अलावा यह पहले ऐसे primeminister थे जिन्होंने पुरे 5 years शासन को सम्भाला| इन्होने महाराष्ट्रा के नन्द्याल ने election लड़ा और उसमे 5 lak votes से जीत हासिल की जिसके लिए इनका नाम गिनीज़ बुक में शामिल किया गया |
इन्होने काँग्रेस को एक सफल राजनीति दी उस वक्त PrimeMinister अगर सफल थे तो वो गाँधी या नेहरु परिवार से थे परन्तु उन सभी की मृत्यु ने देश को बहुत आघात पहुंचाए , उनके अलावा जो भी इस पद पर आसीन हुए वह पुरे 5 वर्षं तक रहे नहीं , इसलिए राव का contribution बहुत आवश्यक था |
1996 के election में काँग्रेस को हार का सामना करना पड़ा जिसके बाद राव ने राजनीति से सन्यास ले लिया | राजनीति से जाने के बाद राव ने साहित्य में अपना योगदान दिया, यह राजनेता होने के साथ साथ एक साहित्यिक व्यक्ति भी थे एक साथ 17 languages बोलने में इन्हें महारथ हासिल थी | इन्होने कवी की रचनाओ को तेलगु में रूपांतरित किया | इन्होने कई उपन्यास को हिंदी में और हिंदी को अन्य language में रूपांतरित किया इन्होने बाबरी मस्जिद एवम राम मंदिर पर भी लेख एवम किताबे लिखी जिसमे इन्होने महत्वपूर्ण बिन्दुओ को रखा | कई बार व्यक्ति उच्च पद पर आसीन होने के कारण खुल कर अपनी बातों को कह नहीं पाते शायद इसी तरह की स्थिती इनकी भी थी राजनीति से सन्यास के बाद इन्होने अपनी कलम के ज़रिये कई बातो को उजागर किया | अपनी मनोदशा को शाब्दिक रूप से व्यक्त किया | इन्होने राजनीति को The Insider novel में कैद किया जो इनके अनुभवों और इनके विचारो को उजागर करता है |
23 December 2004 को इनका निधन हो गया | इनका स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा था इन्हें स्वांस लेने में काफी तकलीफ थी जिसके कारण कुछ दिन hospital में रहने के बाद इन्होने अलविदा कह दिया |
राव जी का राजनेतिक जीवन कठिन था खासकर primeminister बनने के बाद पर इन्होने आर्थिक क्षेत्र में जो परिवर्तन किये थे सराहनीय थे जिन्हें बाद के सभी primeminister ने स्वीकार किया |परमाणु परिक्षण की इच्छा इन्ही के काल से उत्पन्न हुई थी | इनके कार्यकाल के दौरान Dr. ManMohan Sinh अर्थशास्त्री थे |

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