Monday, 21 December 2015

Indian Prime Minister ‘Charan Singh’ Facts

by Amar Ujala Now  |  in सामान्य ज्ञान at  03:04

यह स्वतंत्र भारत के पांचवे प्रधानमंत्री थे इस पद को इन्होने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक सम्भाला |इनका जन्म एक जाट परिवार में 23 दिसम्बर सन 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में चौधरी मीर सिंह के परिवार में हुआ |इनके व्यवहार में इनके पिता की छवि झलकती थी | इनके पिता की अध्ययन में काफी रूचि थी इसलिए इनका भी काफी झुकाव रहा |प्रारम्भिक शिक्षा नूरपुर ग्राम में ही हुई एवम मेट्रिक इन्होने मेरठ के सरकारी उच्च विध्यालय से किया | 1923 में यह विज्ञानं के स्नातक हुए,दो वर्षों के बाद 1925 में कला स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की,इसके पश्चात विधि की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद गाजियाबाद में वकालत का कार्यभार सम्भाला| इनका विवाह गायत्री देवी से हुआ|


1929 में उन्होंने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में प्रवेश किया सर्वप्रथम इन्होने गाजियावाद में काँग्रेस का गठन किया | 1930 में गांधीजी द्वारा चलाये गये “सविनय अवज्ञा आन्दोलन” में नमक कानून तोड़ने का आव्हान किया, इन्होने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया था एवम “डांडी मार्च” में भी भाग लिया| इस दौरान इन्हें 6 माह के लिए जैल भी जाना पड़ा|इसके बाद इन्होने गाँधी जी की छाया में खुद को स्वतन्त्रता की आँधी का हिस्सा बनाया | 1940 के सत्याग्रह आन्दोलन में भी यह जेल गए उसके बाद 1941 में बाहर आये | फरवरी 1937 में इन्हें विधानसभा के लिए चुना गया | 31 मार्च 1938 में इन्होने “कृषि उत्पाद बाजार विधेयक” पेश किया यह विधेयक किसानों के हित में था, यह विधेयक सर्वप्रथम 1940 में पंजाब द्वारा अपनाया गया| आजादी के बाद, चरण सिंह 1952 में, उत्तरप्रदेश के राजस्व मंत्री बने एवम किसानों के हित में कार्य करते रहे, इन्होने 1952 में “जमींदारी उन्मूलन विधेयक ” पारित किया| इस विधेयक के कारण 27000 पटवारियों ने त्याग पत्र देदिया | जिसे इन्होने निडरता के साथ स्वीकार किया एवम किसानो को पटवारी के आतंकी वातावरण से आजाद किया और स्वम् ने ‘लेखपाल ’ पद का भर सम्भाला और नए पटवारी नियुक्त किये जिसमे 18% हरिजनों के लिए आरक्षित किया गया |

चरण सिंह एवम नेहरु के विचारो एवम कार्यप्रणाली में काफी मतभेद था जिसके चले इन दोनों में कई बार टकराव हुए चरण सिंह नेहरु की आर्थिक नीती के आलोचक थे | चरण सिंह ने इस मतभेद के चलते 1967 में काँग्रेस पार्टी को छोड़ दिया और राज नारायण एवम राम मनोहर लोहिया के साथ नयी पार्टी का गठन किया ,जिसका चिन्ह ‘हलदार ’था | इसके बाद कई काँग्रेस विरोधी नेताओ को 1970 एवम 1975 में जेल में बन्द किया गया | 1975-1977 में आपातकालीन स्थिती में इन्दिरा के लगभग सभी विरोधी नेता जेल में थे इन नेताओ ने जनता पार्टी के लिए जैल में रहकर ही चुनाव लड़ा एवम जीत हासिल की |इसके बाद चौधरी चरण सिंह एक वरिष्ठ नेता के रूप में सत्ता में आये | देसाई जी के कार्यकाल में यह “उप-प्रधानमंत्री” एवम “गृहमंत्री रहे |इसी के बाद इनके और मौराजी देसाई के बीच मतभेद बड़ गये,इस तरह इन्होने बगावत कर दी और 28 जुलाई 1979 में इन्हें इन्दिरा के समर्थन के बाद प्रधानमंत्री का पद मिला इस तरह समाजवादी पार्टी और काँग्रेस ने एक साथ समझौता कर शासन किया पर कुछ वक्त बाद 19 अगस्त 1979 में इन्दिरा ने समर्थन वापस ले लिया और समर्थन के लिए इन्दिरा ने शर्त रखी के उसके खिलाफ़ किये गये मुक्कदमे वापस लिए जाये पर चरण सिंह के लिए यह शर्त उनके सिधान्तों के विरुध्द थी इसलिए उन्होंने स्वीकार नहीं किया और सिधान्तों के विरुध्द न जाकर प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया |

यह किसानो के लिए एक महीसा की तरह रहे | इन्होने पुरे उत्तर प्रदेश के किसानो से मिल कर उनकी समस्या का निदान किया | भारत की भूमि कृषि प्रधान रही और इनका कृषको के प्रति प्रेम ने इन्हें इतना सम्मान दिया की इन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा| | इनका जीवन सादगी पूर्ण एवम सिधांतवादी रहा | यह भी गांधीवादी विचारधारा के नेता थे जिन्होंने इस विचारधारा को जीवन पर्यन्त संजोया | गांधीवादी नेताओ ने बाद में गाँधी टोपी का त्याग किया पर इन्होने उसे जीवन भर धारण किया | गाँधी जी ने भी किसानो को भारत का सरताज कहा था | आजादी के बाद चरण सिंह ही ऐसे नेता थे जिन्होंने किसानो के जीवन को सुधारा| 29 मई 1987 में इनका निधन हो गया | इनके बाद इनकी पत्नी गायत्री देवी और पांच बच्चे थे | इनके पूर्वज राजा नाहर सिंह 1857 की क्रांति में भागीदारी थे| इस तरह देश प्रेम इनके स्वभाव में व्याप्त था |इन्होने कई पुस्तके भी लिखी |

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