Saturday 19 December 2015

जवाहरलाल नेहरु जयंती जीवन परिचय Details about jawaharlal nehru

by Amar Ujala Now  |  in जीवन परिचय at  02:40

जवाहरलाल नेहरु की जयंती और उनके सम्पूर्ण जीवन परिचय को विस्तार से पढने के लिए एवम उनके जीवन से ढेर सारी सीख पाने के लिए लिए पढ़े|

जवाहरलाल नेहरु जयंती जीवन परिचय
Jawaharlal Neharu Jayanti Jeevan Parichay In Hindi

जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे| इनका जन्म ब्राह्मण परिवार में 14 नवम्बर 1889 में हुआ था | इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरु एवम माता का नाम स्वरूप रानी नेहरु था| इनके पिता प्रसिद्ध बैरिस्टर थे | नेहरु जी सम्पन्न परिवार के इकलौते बेटे थे |इनके अलावा इनके परिवार में इनकी तीन बहिने थी|इन्हें ‘गुलाब का फूल’ बहुत पसंद था, जिसे वो अपनी शेरवानी में लगाकर रखते थे| इन्हें बच्चों से भी बहुत लगाव था ,बच्चे इन्हें ‘चाचा नेहरु’ कहकर सम्बोधित करते थे | इसी प्रेम के कारण इनका जन्मदिवस ‘बाल-दिवस’ के रूप में 14 नवम्बर को मनाया जाता है | ‘डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया’ के रचियता के रूप में भी विख्यात रहे |

नेहरु जी ने नामी विध्यालयों एवम महाविध्यालयो से शिक्षा प्राप्त की| इन्होने हैरो से प्रारम्भिक शिक्षा एवम ट्रिनिटी कॉलेज लन्दन से उच्चत्तर शिक्षा प्राप्त की| इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए | 7 वर्ष इंग्लैण्ड में रहकर इन्होने फैबियनसमाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की|


1912 में नेहरूजी ने भारत लौटकर इलाहबाद हाईकोर्ट में बेरिस्टर के रूप में कायर्रत हुए | 1916 में नेहरु जी ने कमला नामक युवती से विवाह किया| 1917 में यह होम-रुल-लीग से जुड़े| महात्मा गाँधी के विचारो ने,नेहरु जी को बहुत प्रभावित किया और राजनीतिज्ञ ज्ञान इन्हें गाँधी जी के नेतृत्व में, 1919 में गांधीजी से जुड़ने के बाद प्राप्त हुआ| 1919 में गाँधी जी ने रोलेट-अधिनियम के खिलाफ़ मोर्चा सम्भाल रखा था| नेहरु जी, गाँधी जी के सविनय-अविज्ञा आन्दोलन से बहुत प्रभावित थे| नेहरु जी के साथ उनके परिवार ने भी गाँधी जी का अनुसरण किया मोतीलाल नेहरु ने अपनी सम्पति का त्याग कर खादी परिवेश धारण किया| 1920-1922 में गाँधी जी द्वारा किये गये ‘असहयोग-आन्दोलन’ में नेहरु जी ने सक्रीय रूप से हिस्सा लिया| इस वक्त नेहरु जी पहली बार जेल गये| 1924 में इलाहबाद नगर-निगम के अध्यक्ष के रूप में दो वर्षो तक शहर की सेवा की | 1926 में इन्होने इस्तीफा दे दिया| 1926-28 तक नेहरु जी “अखिल-भारतीय-कांग्रेस” के महा-सचिव बने |

1928-1929 में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में काँग्रेस के वार्षिक-सत्र का आयोजन किया गया| इस सत्र में दो गुट बने, पहले गुट में नेहरूजी एवम सुभाषचन्द्र बोस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया और दुसरे गुट में मोतीलाल नेहरु और अन्य नेताओं ने सरकार के आधीन ही प्रभुत्व सम्पन्न राज्य की मांग की | इस दो प्रस्ताव की लड़ाई में गाँधी जी ने बीच का रास्ता निकला| इन्होने कहा कि ब्रिटेन को दो वर्षो का समय दिया जायेगा ताकि वे भारत को राज्य का दर्जा दे अन्यथा कांग्रेस एक राष्ट्रीय लड़ाई को जन्म देगी | परन्तु सरकार ने कोई उचित जवाब नहीं दिया |नेहरु जी की अध्यक्षता में दिसम्बर 1929 में काँग्रेस का वार्षिक अधिवेशन ‘लाहौर’ में किया गया, इसमें सभी ने एक मत होकर ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग का प्रस्ताव पारित किया | 26 जनवरी 1930 में लाहौर में नेहरु जी ने स्वतंत्र भारत का ध्वज लहराया | 1930 में गाँधी जी ने ‘सविय-अवज्ञा आन्दोलन’ का जोरो से आव्हाहन किया, जो इतना सफल रहा कि ब्रिटिश सरकार को महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिया झुकना ही पड़ा |1935 में जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम का प्रस्ताव पारित किया तब काँग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया| नेहरु ने चुनाव के बाहर रहकर ही पार्टी का समर्थन किया | काँग्रेस ने हर प्रदेश में सरकार बनाई और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की |1936-1937 में नेहरु जी की काँग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया | 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में ‘भारत छोडो’ आन्दोलन के बीच नेहरु जी को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद वह 1945 में जेल से बाहर आये| 1947 में भारत एवम पकिस्तान की आजादी के समय नेहरु जी ने सरकार का साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |

1947 में भारत आजादी के वक्त काँग्रेस में प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए चुनाव किये गये जिसमे सरदार पटेल एवम आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए पर गाँधी जी के आग्रह पर जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री मंत्री नियुक्त किया गया| इसके बाद नेहरु जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने |
स्वतन्त्रता के बाद भारत को सही तरह से गठित कर उसका नेतृत्व कर एक मजबूत राष्ट्र की नीव के निर्माण का कार्य नेहरु जी ने शिद्दत के साथ निभाया| भारत को आर्थिक रूप से निर्भीक बनाने के लिए भी इन्होने बहुत अहम योगदान दिया| आधुनिक-भारत के स्वप्न की मजबूत नीव का निर्माण किया | इन्होने शांति एवम संगठन के लिए ‘गुट-निरपेक्ष’ आन्दोलन की रचना की| इनकी बहुत मेहनत के बावजूद यह पकिस्तान और चीन से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध नहीं बना पाए |

1955 में इन्हें ‘भारत-रत्न’ से नवाज़ा गया | 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया, जिससे नेहरु जी बहुत आघात पंहुचा और 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से जवाहरलाल नेहरु का ‘स्वर्गवास’ होगया |

1 comment:

  1. गुलजारी लाल नंदा के बारे में शानदार लेख

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