चंद्रशेखर(1927-2007)
वी.पी.सिंह के बाद, चन्द्रशेखर ने भारतीय बाग़डोर सम्भाली पूर्व प्रधानमंत्री के कार्यकाल में बहुत अधिक अविश्वास उत्पन्न हो जाने के कारण देश की हालत बहुत नाजुक दौर से गुजर रही थी, उस वक्त ऐसे leader की जरुरत थी, जो निज़ी स्वार्थों से उपर राष्ट्रहित में कार्य करे | चंद्रशेखर ने इन परिस्थितियों में एक अच्छी राजनीति देश को दी|
इनका जन्म 1 जुलाई 1927 को उत्तरप्रदेश के ग्राम इब्राहिमपुर में हुआ| यह एक कृषक परिवार में जन्मे थे, शायद इसलिए अपने देश से निःस्वार्थ भावना से जुड़े हुए थे | यह कृषक परिवार से थे पर अध्ययन में विशेष रूचि होने के कारण, यह एक मेधावी छात्र रहे |इलाहबाद university से अपना अध्ययन पूरा करने के बाद इन्होने राजनीति में प्रवेश किया |राजनीति में इन्हें छात्र जीवन से ही intrest था| उस वक्त देश प्रेम ही जीवन था, हर व्यक्ति बसंती चोला पहने अपने देश प्रेम में लिप्त होता था | चंद्रशेखर की भाषाशैली अनुपम एवम तीव्र थी, उसमे इतनी सच्चाई और दृढता थी कि कोई उन्हें काट नहीं सकता था| पक्ष हो या विपक्ष वो सभी के लिए सम्मानीय एवम सभी को मार्गदर्शन देते थे क्यूंकि इनमे निजी स्वार्थ का भाव था ही नहीं | यह युवाओं के लिए प्रेरणा के प्रतिबिम्ब रहे इन्होने युवाओ को जगाने का भरपूर प्रयास किया | युवा को शक्ति मानने वाला ही देश को एक स्वस्थ्य प्रगति की तरफ बढ़ाता है, क्यूंकि उसमे स्वहित के बजाये राष्ट्र के कल्याण का भाव होता है |
इनका राजनैतिक जीवन एक स्वच्छ दर्पण की तरह है, सर्वप्रथम यह समाजवादी आंदोलनों से जुड़े इन्होने पिछड़े वर्गों के लोगो के लिए बहुत कार्य किये |उस वक्त यह एक अहम् मुद्दा था |दलितों को सामान्य जीवन दिलाने की लड़ाई लड़ी जाती थी पर अन्य सामाजिक धर्मों की भावनाओं का भी ध्यान रखना भी अहम् था ताकि किसी तरह की हिंसा का मुख न देखना पड़े| यह बलिया जिले के समाजवादी दल के सचिव बने तत्पश्चात राज्यस्तर सचिव बनाये गए, राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में आगमन उत्तरप्रदेश राज्यसभा में प्रवेश करने के बाद हुआ| यहाँ से इन्होने उच्च राजनीति का आरम्भ किया | अहम् मुद्दों पर आवाज बुलंद की इनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि इनके आगे कोई आवाज नहीं उठाता था |
1975 के आपातकाल के दौरान इन्दिरा गाँधी ने कई राज नेताओ को जेल भेजा उनमे से एक चंद्रशेखर भी थे| इन्होने वी.पी. सिंह के बाद काँग्रेस के प्रधानमंत्री पद को सम्भाला | इनके कर्यो से प्रभावित होकर 1955 में इन्हें प्रिय सांसद से अलंकृत किया गया |
इनके विचारों में बहुत गहराई थी जिसे उन्होंने अपने लेखन के जरिये उजागर किया| उस वक्त विचारो की अभिव्यक्ति सामान्यतः पत्र-पत्रिकाओं के जरिये की जाती थी| यह एक बहुत प्रभावशाली तरीका होता था| इस प्रकार चंद्रशेखर जी ने भी अपने विचारों को एक उड़ान दी | राजनीति एवम समाज से जुड़े मुदो को उन्होंने इसी तरह सबके सामने रखा उनकी शैली इतनी तीव्र थी कि उनका विरोध करने का सामर्थ्य किसी में नहीं था | इन्होने “Young India” नामक समाचार पत्र का सम्पादन किया, इनके समाचार पत्रों में यह जनता को जगाने वाली शैली को अपनाते थे |यह बोद्धिक वर्ग में भी प्रिय रहे | यह बेखोफ और निष्पक्ष नेता थे, जिन्होंने कलम को अपना हथियार बनाया और क्रांति का आव्हाहन किया | आपातकाल के दौरान इन्हें भी जेल जाना पड़ा था जहाँ इन्होने अपने विचारो और आपबीति को एक डायरी में संग्रहित किया, जो बाद में “मेरी जेल ” के नाम से प्रकाशित की गई | “डायनमिक्स ऑफ चेंज” नामक पुस्तिका के रचियता भी थे, जिसमे इनके विचारों और young India के इनके अनुभवों को भी प्रकाशित किया | इनके लेखन में एक प्रकार का भाव होता था जो पाठक को शुरु से अंत तक बांधे रखता था |
बहुत वक्त बाद भारत को एक ईमानदार और कर्मवान हाथों ने सम्भाला था, उनके इन्ही गुणों के कारण वो निष्पक्ष भाव से प्रेम पाते भी थे| प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद यह भोड़सी में अपने आश्रम में रहे, इनसे इनकी पार्टी के आलावा विपक्षी भी सलाह करते थे |
इनकी कर्मठता तो प्रभावशाली थी ही साथ ही यह चरित्र के भी घनी थे| एक उच्च पद पर आसीन व्यक्ति सामान्यतः कई तरह के शोको का शोकिन होता है पर यह बहुत नियंत्रित व्यक्ति है |
इनका 8 जुलाई 2007 को Delhi में इनका देहांत हो गया, यह बहुत वक्त से प्लाज्मा कैंसर से ग्रसित थे |
अपने कर्मो एवम स्वभाव के कारण यह सदैव स्मरणीय रहेंगे |
वी.पी.सिंह के बाद, चन्द्रशेखर ने भारतीय बाग़डोर सम्भाली पूर्व प्रधानमंत्री के कार्यकाल में बहुत अधिक अविश्वास उत्पन्न हो जाने के कारण देश की हालत बहुत नाजुक दौर से गुजर रही थी, उस वक्त ऐसे leader की जरुरत थी, जो निज़ी स्वार्थों से उपर राष्ट्रहित में कार्य करे | चंद्रशेखर ने इन परिस्थितियों में एक अच्छी राजनीति देश को दी|
इनका जन्म 1 जुलाई 1927 को उत्तरप्रदेश के ग्राम इब्राहिमपुर में हुआ| यह एक कृषक परिवार में जन्मे थे, शायद इसलिए अपने देश से निःस्वार्थ भावना से जुड़े हुए थे | यह कृषक परिवार से थे पर अध्ययन में विशेष रूचि होने के कारण, यह एक मेधावी छात्र रहे |इलाहबाद university से अपना अध्ययन पूरा करने के बाद इन्होने राजनीति में प्रवेश किया |राजनीति में इन्हें छात्र जीवन से ही intrest था| उस वक्त देश प्रेम ही जीवन था, हर व्यक्ति बसंती चोला पहने अपने देश प्रेम में लिप्त होता था | चंद्रशेखर की भाषाशैली अनुपम एवम तीव्र थी, उसमे इतनी सच्चाई और दृढता थी कि कोई उन्हें काट नहीं सकता था| पक्ष हो या विपक्ष वो सभी के लिए सम्मानीय एवम सभी को मार्गदर्शन देते थे क्यूंकि इनमे निजी स्वार्थ का भाव था ही नहीं | यह युवाओं के लिए प्रेरणा के प्रतिबिम्ब रहे इन्होने युवाओ को जगाने का भरपूर प्रयास किया | युवा को शक्ति मानने वाला ही देश को एक स्वस्थ्य प्रगति की तरफ बढ़ाता है, क्यूंकि उसमे स्वहित के बजाये राष्ट्र के कल्याण का भाव होता है |
इनका राजनैतिक जीवन एक स्वच्छ दर्पण की तरह है, सर्वप्रथम यह समाजवादी आंदोलनों से जुड़े इन्होने पिछड़े वर्गों के लोगो के लिए बहुत कार्य किये |उस वक्त यह एक अहम् मुद्दा था |दलितों को सामान्य जीवन दिलाने की लड़ाई लड़ी जाती थी पर अन्य सामाजिक धर्मों की भावनाओं का भी ध्यान रखना भी अहम् था ताकि किसी तरह की हिंसा का मुख न देखना पड़े| यह बलिया जिले के समाजवादी दल के सचिव बने तत्पश्चात राज्यस्तर सचिव बनाये गए, राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में आगमन उत्तरप्रदेश राज्यसभा में प्रवेश करने के बाद हुआ| यहाँ से इन्होने उच्च राजनीति का आरम्भ किया | अहम् मुद्दों पर आवाज बुलंद की इनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि इनके आगे कोई आवाज नहीं उठाता था |
1975 के आपातकाल के दौरान इन्दिरा गाँधी ने कई राज नेताओ को जेल भेजा उनमे से एक चंद्रशेखर भी थे| इन्होने वी.पी. सिंह के बाद काँग्रेस के प्रधानमंत्री पद को सम्भाला | इनके कर्यो से प्रभावित होकर 1955 में इन्हें प्रिय सांसद से अलंकृत किया गया |
इनके विचारों में बहुत गहराई थी जिसे उन्होंने अपने लेखन के जरिये उजागर किया| उस वक्त विचारो की अभिव्यक्ति सामान्यतः पत्र-पत्रिकाओं के जरिये की जाती थी| यह एक बहुत प्रभावशाली तरीका होता था| इस प्रकार चंद्रशेखर जी ने भी अपने विचारों को एक उड़ान दी | राजनीति एवम समाज से जुड़े मुदो को उन्होंने इसी तरह सबके सामने रखा उनकी शैली इतनी तीव्र थी कि उनका विरोध करने का सामर्थ्य किसी में नहीं था | इन्होने “Young India” नामक समाचार पत्र का सम्पादन किया, इनके समाचार पत्रों में यह जनता को जगाने वाली शैली को अपनाते थे |यह बोद्धिक वर्ग में भी प्रिय रहे | यह बेखोफ और निष्पक्ष नेता थे, जिन्होंने कलम को अपना हथियार बनाया और क्रांति का आव्हाहन किया | आपातकाल के दौरान इन्हें भी जेल जाना पड़ा था जहाँ इन्होने अपने विचारो और आपबीति को एक डायरी में संग्रहित किया, जो बाद में “मेरी जेल ” के नाम से प्रकाशित की गई | “डायनमिक्स ऑफ चेंज” नामक पुस्तिका के रचियता भी थे, जिसमे इनके विचारों और young India के इनके अनुभवों को भी प्रकाशित किया | इनके लेखन में एक प्रकार का भाव होता था जो पाठक को शुरु से अंत तक बांधे रखता था |
बहुत वक्त बाद भारत को एक ईमानदार और कर्मवान हाथों ने सम्भाला था, उनके इन्ही गुणों के कारण वो निष्पक्ष भाव से प्रेम पाते भी थे| प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद यह भोड़सी में अपने आश्रम में रहे, इनसे इनकी पार्टी के आलावा विपक्षी भी सलाह करते थे |
इनकी कर्मठता तो प्रभावशाली थी ही साथ ही यह चरित्र के भी घनी थे| एक उच्च पद पर आसीन व्यक्ति सामान्यतः कई तरह के शोको का शोकिन होता है पर यह बहुत नियंत्रित व्यक्ति है |
इनका 8 जुलाई 2007 को Delhi में इनका देहांत हो गया, यह बहुत वक्त से प्लाज्मा कैंसर से ग्रसित थे |
अपने कर्मो एवम स्वभाव के कारण यह सदैव स्मरणीय रहेंगे |
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