मोरारजी देसाई(1896-1995)
यह भारत के चौथे प्रधानमंत्री बने| इनका कार्यकाल इन्दिरा गाँधी के बाद शुरु हुआ जो कि 1977-1979 तक था यह पहले प्रधानमंत्री थे, जो काँग्रेस के नही जनता दल के थे | इन्होने 1971 में चल रहे भारत पाक के रिश्तो को सुधारने के लिए शान्ति का रास्ता तय करने का सोचा | यह एक मात्र भारतीय है जिन्हें भारत का “भारत रत्न” एवम पकिस्तान का “निशान-ए-पाकिस्तान” दोनों ही देशों के सर्वोच्च निशान से नवाज़ा गया |
देसाई का जन्म 29 फ़रवरी1896 में भदेली गाँव में हुआ था, इनके पिता एक अध्यापक के रूप मई कार्यरत थे इनकी प्रारंभिक शिक्षा st. bhusar हाई स्कुल में हुई इनकी पत्नी का नाम गज्राबेन था जिनके साथ इन्होने 1911 में विवाह किया| इनका पारिवारिक जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरा इनके पिता ने आत्महत्या कर ली जो कि देसाई जी के लिए बहुत कित वक्त था परन्तु वो हालात के आगे कमज़ोर नहीं अपितु ज्यादा मजबूत होगये | इन्होने अपना ग्रेजुएशन 1918 में बम्बई शहर के विल्सन महाविधायल से पूरा कर सिविल की परीक्षा उतीर्ण की एवम , 12 वर्षो तक डीपटी कलेक्टर की उपाधि पर कार्यरत रहे| यविद्यार्थी जीवन में देसाई बहुत ही सामान्य छात्र थे परन्तु इन्हें वाद-विवाद प्रतियोगिता में महारथ हासिल थी उन्हें वाद-विवाद में बहुत सारे पुरूस्कार प्राप्त किये उस वक्त यह गाँधी जी एवम बाल गंगाधर तिलक से बहुत प्रभावित थे | इनका स्वभाव बहुत ही अलग था घर की विकट परिस्थितियों ने इन्हें बहुत कठोर बना दिया था इसका प्रभाव इनकी सरकारी नौकरी पर भी पड़ा और इन्हें काँग्रेस में अड़ियल नेता भी कहा जाता था |
1929 में सरकारी नौकरी को छोड़ कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया एवम सविनय-अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया 1930 में, देसाई जी, स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान तीन बार जेल गए| सन 1931 में इन्हें भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस में अहम् स्थान मिला, इनके कार्य के प्रति लग्न को देख कर इन्हें 1937में गुजरात प्रदेश काँग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया |इसके बाद इन्होने गुजरात में भारतीय युवा काँग्रेस का गठन किया इन्हें सरदार पटेल ने इस युवा काँग्रेस का अध्यक्ष बना दिया | यह राजस्व एवम गृहमंत्री भी रहे | देसाई जी कट्टर गाँधीवादी नेता एवम उच्च चरित्र का पालन करने वाले व्यक्ति थे इन्होने उस वक्त फिल्मों में होने वाले अभद्र चित्रण का विरोध किया |१९३७ में , इन्हें रेवेन्यु, एग्रीकल्चर एवं फारेस्ट डिपार्टमेंट का मंत्री नियुक्त किया गया| मह्तामा गांधीजी द्वारा किये गये सत्याग्रह आन्दोलन में हिस्सेदारी के कारण इन्हें जेल भेजा गया जहाँ से देसाई जी अक्टुम्बर १९४१ में मुक्त हुए पर १०४२ में “भारत छोडो” आन्दोलन के लिए फिर से गिरफ्तार कर लिए गए| यह १९४५ में छोड़े गए |
बम्बई में सन १९४६ में, इन्हें करमंत्री एवं गृहमंत्री बनाया गया| सन १९५२ में इन्हें बम्बई का मुख्यमंत्री बनाया गया| 1952 में बम्बई पर गुजरती एवम 1956 में मराठी भाषा के लोगो ने अपना प्रभुत्व हासिल करने के लिए आन्दोलन किये उनके इस भाषावादी आन्दोलन का देसाई जी ने विरोध किया | इस वक्त स्थिती बहुत बिगड़ गई थी जिसे देसाई ने तीन दिन में नियंत्रित किया |१४ नवम्बर १९५६में वाणिज्य एवम उद्योग क्षत्र में यह यूनियन कैबिनेट मंत्री बनाये गए| २२ मार्च सन १९५७ से इन्होने अर्थव्यवस्था संभाली| इनके इस प्रभावित कार्य प्रणाली के लिए इन्हें दिल्ली बुला लिया गया | इनके विचारो और पार्टी के विचारो में बहुत अधिक मतभेद रहा | 1964 में नेहरु जी के स्वर्गवास के बाद जब इन्दिरा ने सत्ता सम्भाली तब इन्हें उप-प्रधान मंत्री की जगह मिली | वह इससे नाखुश थे क्यूंकि वो इससे ज्यादा प्राप्त कर सकते थे | इन्दिरा ने इनके साथ बुरा बर्ताव किया जिससे देसाई जी के आत्मसम्मान को गहरा आहात हुआ,वैचारिक मतभेद इतना बड गया कि 1969 में काँग्रेस पार्टी के दो टुकड़े होगये|मोरारजी ने उप-प्रधानमंत्री के पद को त्याग दिया| इनके और इन्दिरा के बीच कटु शब्दों की राजनिती चलने लगी |इन्होने विरोधी पार्टी की कमान सम्भाली और 1971 में पुनह चुनाव लड़ा|इन्होने इन्दिरा के खिलाफ़ याचिका दायर कि जिसके तहत इन्दिरा को चुनाव से दूर रहने को कहा गया | इसके बाद 1977 के चुनाव के परिणाम स्वरूप जनता पार्टी को बहुमत मिला और देश में पहली बार गैरकाँग्रेस ने सत्ता सम्भाली| इन्होने बहुत समझदारी से भारत पाक के रिश्ते सुधारे |1979 में चरण सिह ने समर्थन वापस लेलिया और देसाई को हटना पड़ा| यह पहले व्यकित थे जो 81 की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे | इनका 1995 में देहांत हुआ इनकी उम्र 99थी
यह भारत के चौथे प्रधानमंत्री बने| इनका कार्यकाल इन्दिरा गाँधी के बाद शुरु हुआ जो कि 1977-1979 तक था यह पहले प्रधानमंत्री थे, जो काँग्रेस के नही जनता दल के थे | इन्होने 1971 में चल रहे भारत पाक के रिश्तो को सुधारने के लिए शान्ति का रास्ता तय करने का सोचा | यह एक मात्र भारतीय है जिन्हें भारत का “भारत रत्न” एवम पकिस्तान का “निशान-ए-पाकिस्तान” दोनों ही देशों के सर्वोच्च निशान से नवाज़ा गया |
देसाई का जन्म 29 फ़रवरी1896 में भदेली गाँव में हुआ था, इनके पिता एक अध्यापक के रूप मई कार्यरत थे इनकी प्रारंभिक शिक्षा st. bhusar हाई स्कुल में हुई इनकी पत्नी का नाम गज्राबेन था जिनके साथ इन्होने 1911 में विवाह किया| इनका पारिवारिक जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरा इनके पिता ने आत्महत्या कर ली जो कि देसाई जी के लिए बहुत कित वक्त था परन्तु वो हालात के आगे कमज़ोर नहीं अपितु ज्यादा मजबूत होगये | इन्होने अपना ग्रेजुएशन 1918 में बम्बई शहर के विल्सन महाविधायल से पूरा कर सिविल की परीक्षा उतीर्ण की एवम , 12 वर्षो तक डीपटी कलेक्टर की उपाधि पर कार्यरत रहे| यविद्यार्थी जीवन में देसाई बहुत ही सामान्य छात्र थे परन्तु इन्हें वाद-विवाद प्रतियोगिता में महारथ हासिल थी उन्हें वाद-विवाद में बहुत सारे पुरूस्कार प्राप्त किये उस वक्त यह गाँधी जी एवम बाल गंगाधर तिलक से बहुत प्रभावित थे | इनका स्वभाव बहुत ही अलग था घर की विकट परिस्थितियों ने इन्हें बहुत कठोर बना दिया था इसका प्रभाव इनकी सरकारी नौकरी पर भी पड़ा और इन्हें काँग्रेस में अड़ियल नेता भी कहा जाता था |
1929 में सरकारी नौकरी को छोड़ कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया एवम सविनय-अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया 1930 में, देसाई जी, स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान तीन बार जेल गए| सन 1931 में इन्हें भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस में अहम् स्थान मिला, इनके कार्य के प्रति लग्न को देख कर इन्हें 1937में गुजरात प्रदेश काँग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया |इसके बाद इन्होने गुजरात में भारतीय युवा काँग्रेस का गठन किया इन्हें सरदार पटेल ने इस युवा काँग्रेस का अध्यक्ष बना दिया | यह राजस्व एवम गृहमंत्री भी रहे | देसाई जी कट्टर गाँधीवादी नेता एवम उच्च चरित्र का पालन करने वाले व्यक्ति थे इन्होने उस वक्त फिल्मों में होने वाले अभद्र चित्रण का विरोध किया |१९३७ में , इन्हें रेवेन्यु, एग्रीकल्चर एवं फारेस्ट डिपार्टमेंट का मंत्री नियुक्त किया गया| मह्तामा गांधीजी द्वारा किये गये सत्याग्रह आन्दोलन में हिस्सेदारी के कारण इन्हें जेल भेजा गया जहाँ से देसाई जी अक्टुम्बर १९४१ में मुक्त हुए पर १०४२ में “भारत छोडो” आन्दोलन के लिए फिर से गिरफ्तार कर लिए गए| यह १९४५ में छोड़े गए |
बम्बई में सन १९४६ में, इन्हें करमंत्री एवं गृहमंत्री बनाया गया| सन १९५२ में इन्हें बम्बई का मुख्यमंत्री बनाया गया| 1952 में बम्बई पर गुजरती एवम 1956 में मराठी भाषा के लोगो ने अपना प्रभुत्व हासिल करने के लिए आन्दोलन किये उनके इस भाषावादी आन्दोलन का देसाई जी ने विरोध किया | इस वक्त स्थिती बहुत बिगड़ गई थी जिसे देसाई ने तीन दिन में नियंत्रित किया |१४ नवम्बर १९५६में वाणिज्य एवम उद्योग क्षत्र में यह यूनियन कैबिनेट मंत्री बनाये गए| २२ मार्च सन १९५७ से इन्होने अर्थव्यवस्था संभाली| इनके इस प्रभावित कार्य प्रणाली के लिए इन्हें दिल्ली बुला लिया गया | इनके विचारो और पार्टी के विचारो में बहुत अधिक मतभेद रहा | 1964 में नेहरु जी के स्वर्गवास के बाद जब इन्दिरा ने सत्ता सम्भाली तब इन्हें उप-प्रधान मंत्री की जगह मिली | वह इससे नाखुश थे क्यूंकि वो इससे ज्यादा प्राप्त कर सकते थे | इन्दिरा ने इनके साथ बुरा बर्ताव किया जिससे देसाई जी के आत्मसम्मान को गहरा आहात हुआ,वैचारिक मतभेद इतना बड गया कि 1969 में काँग्रेस पार्टी के दो टुकड़े होगये|मोरारजी ने उप-प्रधानमंत्री के पद को त्याग दिया| इनके और इन्दिरा के बीच कटु शब्दों की राजनिती चलने लगी |इन्होने विरोधी पार्टी की कमान सम्भाली और 1971 में पुनह चुनाव लड़ा|इन्होने इन्दिरा के खिलाफ़ याचिका दायर कि जिसके तहत इन्दिरा को चुनाव से दूर रहने को कहा गया | इसके बाद 1977 के चुनाव के परिणाम स्वरूप जनता पार्टी को बहुमत मिला और देश में पहली बार गैरकाँग्रेस ने सत्ता सम्भाली| इन्होने बहुत समझदारी से भारत पाक के रिश्ते सुधारे |1979 में चरण सिह ने समर्थन वापस लेलिया और देसाई को हटना पड़ा| यह पहले व्यकित थे जो 81 की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे | इनका 1995 में देहांत हुआ इनकी उम्र 99थी
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