Monday 21 December 2015

Indian President ‘Dr.Zakir Hussain’ Facts

by Amar Ujala Now  |  in सामान्य ज्ञान at  02:54



डॉ हुसैन (Dr.Zakir Hussain) स्वतंत्र भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे, उनका जन्म 8 फरवरी, 1897 को हैदराबाद आंध्रप्रदेश के सुम्भ्रांत परिवार में हुआ था| इनकी माता का नाम नाजनीन बेगम था| प्लेग नाम की बीमारी से ग्रस्त होने के कारण इनकी मृत्यु 1911 मे ही, हो गई थी| जन्म के थोड़े समय बाद ही इनका परिवार उत्तर प्रदेश मे बस गया था| कुछ समय बाद डॉ हुसैन (Dr.Zakir Hussain) ने अपने पिताजी को भी खो दिया था| इनका जन्म एक शिक्षित और आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में हुआ था| संपन्नता की छाप उनके व्यक्तित्व पर साफ दिखाई पड़ती थी|


शिक्षा के प्रति लगाव डॉ हुसैन (Dr.Zakir Hussain) को अपने पिता से विरासत में मिला था| इनके पिता ने भी कानून के क्षेत्र में अच्छी जगह प्राप्त की थी| वे शिक्षा के महत्व को भली-भांति जानते थे| यही वजह है की माता-पिता का देहांत होने के बाद भी डॉ हुसैन ने अपने पिता की इच्छा पूर्ती के लिए अपनी पढ़ाई को बिना किसी रुकावट के जारी रखी| इनकी प्रारंभिक शिक्षा इस्लामिया हाई स्कूल, इटावा में हुई| स्कूल की पढाई इन्होंने इटावा से ही पूरी की| कानून की पढ़ाई के लिए डॉ. जाकिर हुसैन (Dr.Zakir Hussain) ने ऐंग्लो-मुस्लिम ऑरिएंटल कॉलेज, मे दाखिला लिया, जिसे अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है| यहाँ से इन्होंने M.A. किया| इसके बाद डॉ हुसैन जर्मनी चले गए, जर्मनी विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पी.एच.डी की डिग्री प्राप्त की| वे एक प्रतिभाशाली छात्र के साथ-साथ एक कुशल वक्ता भी थे|

1927 में जब वह भारत लौटे उस समय जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी जिसकी नींव डॉ हुसैन (Dr.Zakir Hussain) ने खुद रखी थी जर्मनी जाने से पहले, अब बंद होने के कगार पर थी| तब उन्होंने इसे बंद होने से रोकने और इसकी दशा सुधारने के लिए इसका पूर्ण संचालन अपने कंधो पे ले लिया| अगले 20 वर्षों तक उन्होंने इस संस्थान को बहुत अच्छे ढंग से चलाया| अंग्रजो के अधीन भारत मे इस यूनिवर्सिटी ने अपना एक अलग ही मुकाम बनाया| डॉ.जाकिर हुसैन(Dr.Zakir Hussain) एक व्यावहारिक और आशावादी व्यक्तित्व के इंसान थे| स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें जामिया मिलिया इस्लामिया का उपकुलपति बना दिया गया| 1926-1948 तक वे जामिया मिलिया इस्लामिया के उपकुलपति रहे| कई विश्वविद्यालयों ने इन्हें डी.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया| वे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे|


1948 में नेहरूजी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया| 1955-1957 तक वे जिनेवा में सभापति रहे| 1956 में वे राज्यसभा अध्यक्ष बन गए| लेकिन लगभग एक वर्ष बाद ही 1957 में वह बिहार राज्य के गवर्नर नियुक्त हो गए और राज्यसभा की सदस्यता त्याग दी| उन्होंने इस पद पर 1962 तक कार्य किया| 1962 में वह देश के उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए| 1967 मे भारत के तीसरे राष्ट्रपति बन गए| एक शिक्षक होते हुए भी राष्ट्रपति जैसे उच्य पद तक वे अपनी योग्यता और प्रतिभा से पहुचें थे|

डॉ.जाकिर हुसैन (Dr.Zakir Hussain) भारत में शिक्षा सुधार को लेकर हमेशा तत्पर रहे| उनका हमेशा सपना रहा है सम्पूर्ण भारत को शिक्षित देखना| अपनी अध्यक्षता में इन्होंने विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग को शिक्षा का स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से गठित भी किया| 1954 मे डॉ हुसैन को पदम्विभूषण से सम्मानित किया गया| 1963 में भारत सरकार ने इनको ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया| डॉ हुसैन साहित्य एवं कला प्रेमी थे| शिक्षा के क्षेत्र के अलावा एक राजनेता के रूप मे भी डॉ हुसैन(Dr.Zakir Hussain) का कार्य सदेव याद किया जाता है| उन्होंने धर्मनिरपेक्षता उदाराष्ट्रवादिता के सिधान्तों को व्यव्हारिक रूप प्रदान किया है| डॉ हुसैन बहुत सी किताबे रचित की जिसमे सबसे अधिक प्रसिद्धि प्राप्त की केपेतिलिज्म, स्केल and मैथड्स ऑफ़ इकोनोमिकस, रिपब्लिक, शहीद की अम्मा, अँधा घोडा आदि|

3 मई, 1969 को डॉ.जाकिर हुसैन(Dr.Zakir Hussain) का असमय देहांत हो गया| वह भारत के पहले राष्ट्रपति हैं जिनकी मृत्यु अपने ऑफिस में ही हुई थी| डॉ. जाकिर हुसैन (Dr.Zakir Hussain) को जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में ही दफनाया गया था| असमय देहावसान के कारण वह अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर सके| किन्तु भारतीय राजनिती और शिक्षा के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा|


Indian President ‘Dr.Zakir Hussain’ Facts In Hindi यह ब्लॉग हिंदी पाठको की सुविधा के लिए लिखा गया हैं | अगर लिखी गई जानकारी के अलावा आप कुछ Indian President ‘Dr.Zakir Hussain’ Facts के बारे में कुछ कहना चाहते हैं तो हमे कमेंट बॉक्स में लिखे |

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