Wednesday 23 December 2015

सिद्धार्थ गौतम बुध्द जीवन परिचय Gautam Buddha Life Introduction in Hindi

by Amar Ujala Now  |  in सामान्य ज्ञान at  02:35

सिद्धार्थ गौतम बुध्द जीवन परिचय  Gautam Buddha Life Introduction in Hindi कैसे बना एक राज कुमार सिद्धार्थ महान धर्म प्रवर्तक गौतम बुद्धा  |

क्रमांकबिंदुगौतम बुध्द  (Introduction Gautam BuddhaIn Hindi)जीवन परिचय
1जन्म५६३ ईस्वी पूर्व
2मृत्यु४८३ ईस्वी पूर्व
3पूरा नामसिद्धार्थ गौतम बुध्द 
4कार्यराजकुमार , बोद्ध धर्म अनुयायी


गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) “बोद्ध धर्म” के प्रवर्तक कहें जाते हैं इन्होने पालि भाषा में धर्म का प्रचार प्रसार किया यह पालि भाषा उस वक्त की बोली थी जिस कारण इन्होने भक्तों के दिल में जल्दी ही जगह बना ली | यह करुणा एवम दया से भरे हुए थे सत्य एवम अहिंसा को इन्होने जीवन का आधार माना था |

सिद्धार्थ गौतम बुध्द जीवन परिचय  Gautam Buddha Life Introduction in Hindi गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) को सिद्धार्थ गौतम के नाम से भी जाना जाता है यह शाक्य के राजा शुध्दोधन के पुत्र थे जिनका जन्म कपिल वस्तु लुम्बिनी नेपाल में हुआ इनकी माता महामाया देवी का इनके जन्म के सात दिन बाद ही देहांत हो गया जिसके बाद राजा शुद्धोधन की दूसरी रानी महाप्रजावती ने इनका पालन किया | इनका नाम सिद्धार्थ रखा गया क्यूंकि इनके जन्म के समय ही भविष्यवाणी की गई थी कि यह एक महान राजा या एक महान धर्म प्रचारक होंगे | सिद्धार्थ का अर्थ ही “सिध्द आत्मा” हैं जिसे सिद्धार्थ गौतम/गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) ने अपने कर्मो से सिध्द किया |गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) मे दया का भाव बहुत अधिक था इनकी एक कहानी सभी जानते है कि जब इनके सौतेले भाई देवव्रत ने एक पक्षी को अपने बाण से घायल कर दिया था तब इन्हें बहुत दुःख हुआ और इन्होने उस पक्षी की सेवा कर उसे जीवन दिया | सिद्धार्थ का मन प्रजा पर शासन करने का नहीं था बल्कि वो उनके दुःख को जीते थे और प्रजा की तकलीफों में खो जाते थे | यह सब उनके पिता राजा शुद्धोधन को बिलकुल पसंद नहीं था इसलिए इन्हें सभी प्रकार के ऐशो आराम दिए गए सुन्दर महल बनाकर दिए गये | सिद्धार्थ का मन इन आडम्बरो से दूर ही था |सिद्धार्थ (Gautam Buddha)ने विश्वामित्र से शिक्षा प्राप्त की इन्हें सभी वेद,उपनिषदों के साथ युद्ध कोशल में भी निपूर्ण बनाया गया | इनका विवाह यशोधरा से हुआ जिससे उन्हें पुत्र राहुल की प्राप्ति हुई | सिद्धार्थ को उनके पिता ने समस्त भोग विलास की चीज़े दी ताकि वह उन सबमे रम जाए पर एक दिन सिद्धार्थ सैर पर निकले तो उन्हें बुढा दरिद्र बीमार मिला जिसे देख सिद्धार्थ का मन दुखी हो गया दूसरी बार उन्हें एक अर्थी दिखी और उसके पीछे कई रोते दुखी लोग देखकर सिद्धार्थ का मन और विचलित हो गया इस तरह संसार में भरी तकलीफों को देख उनका मन भोग विलास से ऊब गया | एक दिन जब वह सैर पर निकलने तब उन्हें एक सन्यासी दिखा जिसके मुख पर संतोष था जिसकी जिव्हा पर ईश्वर का भक्ति जिसे देख सिद्धार्थ को सुख की अनुभूति हुई और उन्होंने पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल का त्याग कर दिया और भोग विलास को अलविदा कर तपस्वी बनने का निश्चय किया |सिद्धार्थ नगर (Gautam Buddha)छोड़कर चले गये | जगह जगह ज्ञानियों से ज्ञान और तप के मार्ग की महत्ता को जानने का प्रयास किया आसन लगाना सिखा और साधना शुरु की | उन्होंने भोजन ग्रहण करना बंद कर दिया और कई वर्षो तक इसी तरह जीवन व्यापन किया इनका शरीर दुर्बल हो गया पर इन्हें कोई संतुष्टि नहीं मिली एक दिन उन्हें
गौतम बुद्ध का जन्म का रहस्य  Gautam Buddha Life Introduction in Hindi :
एक दिन वैशाखी पूर्णिमा के दिन जब सिद्धार्थ /गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान में थे उस दिन उन्हें एक अनभिज्ञ ज्ञान का अहसास हुआ और उस दिन से उन्हें बुद्ध कहा जाने लगा और उस वृक्ष को बोधिवृक्ष | और उस स्थान को “बोध गया ” कहा जाने लगा |
इस दिन के बाद इन्हें गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) के नाम से जाना जाने लगा और इन्होने पालि भाषा में बोध्द धर्म का प्रचार प्रसार किया यह भाषा उस वक्त की प्रजा की भाषा थी जिस कारण लोगो ने इन्हें जल्दी ही अपना लिया अन्य प्रवर्तक संस्कृत का उपयोग करते थे जिसे समझना आसन नहीं था | इसलिए गौतम बुद्ध को अधिक प्रेम मिला |
बौद्ध धर्म को सभी लोगो ने अपनाया | गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) जीवन के सरल मार्ग को अपनाने का ज्ञान दिया | बौध्द धर्म सभी जाति प्रथा से बहुत दूर था इसे हर व्यक्ति अपना सकता था चाहे वह किसी भी जाति का हो या नर हो या नारी |
हिन्दू धर्म में बुध्द को विष्णु का रूप माना जाने लगा और इन्हें भगवान बुध्द कहा जाने लगा |इस्लाम में भी बौध धर्म की अपनी ही जगह थी | बोध धर्म ने अहिंसा को अपनाने और सभी मानव जाति एवम पशु पक्षी को समानं प्रेम का दर्जा देने को कहा | राजा शुद्धोधन और राहुल दोनों ने बोध्द धर्म को अपनाया |
80 वर्ष की आयु में गौतम बुध्द  (Gautam Buddha) अपने निर्वाण की भविष्यवाणी की और समाधी धारण की उनके बाद उनके अनुयायी ने बोध धर्म का प्रचार प्रसार किया और जिसके बाद भारत के आलावा कई देशों ने इसे अपनाया | चीन, थाईलेंड,जापान, कोरिया, मंगोलिया, बर्मा, श्रीलंका जैसे कई देशों ने बोध्द धर्म को अपनाया |
सिद्धार्थ गौतम बुध्द जीवन परिचय  Gautam Buddha Life Introduction in Hindi आपको कैसा लगा कमेंट करे |


 एक भजन सुनकर अहसास हुआ कि अपने शरीर को कष्ट देकर ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती और फिर उन्होंने एक नियत तरीके से ध्यान किया | उन्हें इस बात से अहसास हुआ कि अति किसी बात की अच्छी नहीं होती और अपने ईश्वर को याद करने के लिए अपने आप को कष्ट देना अपराध हैं |

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