Monday 21 December 2015

Sholay Evergreen Movie Re-release in 3D

by Amar Ujala Now  |  in मूवी रिव्यु at  22:28

Sholay In 3D :

2014 January में evergreen movie Sholay 3D format में release होने जा रही यह Amitabh Bachchan और Dharmendra का सपना है | 2011 में इस पर काम start किया गया लेकिन इसके कुछ scene ही 3D में Convert हो पाए थे | अब देखना यह है कि दर्शकों को 3 D में यह movie क्या वैसा ही मजा दे पायेगी जो बरसों पहले इस film ने अपने दर्शकों को दिया था |इसे Ketan Mehta ने redirect किया और यह Maya studio में बनाई जा रही है |


Sholay 1975 में release की गई थी, इसने सफलता के सारे Record break कर दिए थे|यह आज तक की highest grossing Indian Hindi film है | यह Mumbai के theater में 7 years तक और Delhi में 5 years तक दिखाई गई | इससे ही इसकी सफलता का अन्दाजा लगाया जा सकता है | शुरुवाती दौर में इसे इतना पसंद नहीं किया गया क्यूंकि यह action movie थी और उस वक्त के दौर में audience बहुत शान्त और शालीन movies देखना पसंद करते थे, लेकिन mouth publicity से ही इसने box office के record break कर दिए | इसे Ramesh Sippy ने direct किया और इन्ही के पिता G.P. Sippi इसके producer थे | movie के dialogs सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहे जिसे Salim-Javed ने लिखा,सबसे पहले यह story Salim-Javed ने ही रमेश सिप्पी को सुनाई थी | इसे British Film Institute के 2002 के poll के according top10 Indian Film में से first position मिली | 2005 में इसे Film fare award ने “Best Film of 50 Years” का नाम दिया | इस movie की तुलना उस वक्त hollywood movie से की जाती थी | इसके dialog काफी famous हुए जो कि आज तक बोले जाते है | यह एक ऐसी movie थी जिसमे story के साथ साथ social issue भी थे, जिसे बहुत ही अच्छे तरीके से रखा गया था |
Sholay की कामयाबी का श्रेय start cast को भी पूरा जाता है इस movie का हिस्सा बड़े बड़े दिग्गज थे जिनकी fans following इस film के बाद कई गुना बड़ गई |
Star Cast:
 Thakur Baldev : Sanjeev Kumar
 Gabbar : Amzad Khan
 Veeru : Dharmendra
 Jay : Amitabh Bachchan
 Basanti : Hema Malini
 Radha : Jaya Bhadudi

Story:
Sholay रामगढ में रहने वाले ठाकुर बलदेव (Sanjiv Kumar) की कहानी है जो कि एक police officer था जिसकी बहद्दुरी के किस्से department की जान थे और उसने एक खतरनाक डाकू गब्बर (Amzad Khan) को गिरफ्तार किया जिस पर उस वक्त 5000/ का इनाम था | लेकिन गब्बर जेल की सलाखें तोड़ भाग निकला और उसने ठाकुर बलदेव की family को मार दिया जिसमे केवल ठाकुर बलदेव की बहु राधा(Jaya Bachchan) बची थी | ठाकुर अपना बदला लेने अड्डे पर पहुँचता है लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ता है, गब्बर उसके दोनों हाथ काट देता है |अपनी इस हार, family और गब्बर के फैले आतंक को खत्म करने के लिए ठाकुर बलदेव दो चोरो को police हिरासत से बाहर निकालते है, जिनके नाम है जय (Amitabh Bachchan) और वीरू(Dharmendra) | इन्हें रामगढ बुलाया जाता है जहाँ इनकी मुलाकात बसंती (हेमा मालिनी) से होती है जो कि टांगा चलाती है और अपनी धन्नो (घोड़ी) और मौसी से बहुत प्यार करती है | जय और वीरू गब्बर को ढूंढ निकालते है लेकिन इन सब लड़ाई में जय, वीरू का साथ छोड़ देता है|
इस तरह की action movie के बीच भी वीरू और बसंती की love story और Jay और Radha के बीच की silent love story को movie makker ने बहुत ही शानदार तरीके से पैश किया |movie बहुत serious topic पर थी लेकिन इसमें comic scene भी बहुत ही जान दार थे | इसके dialog ने आज तक film को तरोताजा बना रखा है | शायद Sholay को देखकर कहा जा सकता है कि जब team work होता है तो इस तरह की यादगार घटना घटती है जिसे हर दौर के लोगो द्वारा सरहाना मिलती है|
इस movie के कुछ dialog इतने famous हुए के आज तक याद किये जाते है : गब्बर के dialogs “जो डर गया समझों मर गया”| उसके बाद गब्बर की हंसी जिसे सुनने के बाद दर्शक तक दहल जाते है | “दूर गाँव में माँ अपने बच्चे से कहती है बेटा सो जा सो जा वरना गब्बर सिंग आजायेगा”| Sholay की हर एक line में ही मजा है | आज भी इसे बिना पलक झपकाए देखा जाता है |
film का जो background music था वो भी बहुत impressive था music से ही scene की कल्पना की जा सकती थी|
उस दौर में movies से दर्शको के दिल जुड़ जाते थे क्यूंकि कहानी में सच्चाई और आत्मीयता होती थी,जबकि आज के वक्त की तरह ना तो कोई publicity होती थी ना ही कोई extra efforts जैसे item songs की जरुरत किसी film को होती थी| film अपनी script और performance के बलबूते पर ही चाहने वालो के दिलों में राज करती थी | उस वक्त movie बस कुछ ही महानगरों में पहुँच पाती थी, छोटे छोटे शहरो तक पहुँचने में वर्षों बीत जाते थे| जब तक movie की story, songs दर्शको तक विविध भारती द्वारा पहुँच जाते थे लेकिन climax और story पता होने के बाद भी viewers का इसे देखने का उत्साह जोरो पर होता | उस वक्त मनोरंजन के साधन बहुत कम हुआ करते थे tv के telecast का time भी Fix हुआ करता था| आज अगर हम उस दौर का सोंचे तो लगता है पता नहीं किस तरह वक्त बिताता होगा,क्यूंकि आज इन्ही सब चीजो के कारण हमारे पास दो पल अपनों के साथ बिताने को नहीं होते | ख़ैर वो एक अलग दौर था, आज एक अलग दौर है |अब देखना यह है कि उस दौर की सदाबहार movie जब आज के अंदाज 3 D में आती है तो उसे कितनी सरहाना मिलती है |

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