Saturday, 19 December 2015

Indian President ‘Dr.Rajendra Prasad’ Facts

by Amar Ujala Now  |  in सामान्य ज्ञान at  03:02


राजेंद्र प्रसाद (Dr.Rajendra Prasad) स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे. २६ जनवरी ,1950 को जब हमारा गणतंत्र लागू हुआ तब डॉ प्रसाद को इस पद से सम्मानित किया गया था. डॉ प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था. इनके पिता का नाम महादेव सहाय था. डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr.Rajendra Prasad) की प्रारंभिक शिक्षा उन्हीं के गांव जीरादेई में हुई. पढ़ाई की तरफ इनका रुझान बचपन से ही था. सादगी, सेवा, त्याग, देशभक्ति और स्वतंत्रता आंदोलन में अपने आपको पूरी तरह से होम कर दिया था. डॉ राजेंद्र बाबू अत्यंत सरल और गंभीर प्रकृति के व्यक्ति थे, वे सभी वर्ग के लोगो से सामान्य व्यव्हार रखते थे.


डॉ प्रसाद का बालविवाह 12 साल की उम्र मे हो गया था. उनकी पत्नी का नाम राजवंशी देवी था. डॉ प्रसाद (Dr.Rajendra Prasad) ने आगे पढाई के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय में आवेदन पत्र डाला जंहा उनका दाखिला हो गया और उनको 30 रूपए महीने की छात्रवृत्ति मिलने लगी. उनके गांव से पहली बार किसी युवक ने कलकत्ता विश्विद्यालय में प्रवेश पाने में सफलता प्राप्त की थी जो निश्चित ही राजेंद्र प्रसाद और उनके परिवार के लिए गर्व की बात थी. सन 1902 में उन्होंने कलकत्ता प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया. सन 1915 में कानून में मास्टर की डिग्री पूरी की जिसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. इसके बाद उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की. इसके बाद पटना आकर वकालत करने लगे जिससे इन्हें बहुत धन ओर नाम मिला.





बिहार मे अंग्रेज सरकार के नील के खेत थे, सरकार अपने मजदूर को उचित वेतन नहीं देती थी. 1917 मे गांधीजी ने बिहार आ कर इस सम्स्या को दूर करने की पहल की. उसी दौरान डॉ प्रसाद गांधीजी से मिले, उनकी विचारधारा से वे बहुत प्रभावित हुए. 1919 मे पूरे भारत मे सविनय आन्दोलन की लहर थी. गांधीजी ने सभी स्कूल, सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार करने की अपील की. जिसके बाद डॉ प्रसाद ने अंपनी नौकरी छोड़ दी.


चम्पारन आंदोलन के दौरान राजेन्द्र प्रसाद (Dr.Rajendra Prasad) गांधी जी के वफादार साथी बन गए थे. गांधी जी के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने अपने पुराने और रूढिवादी विचारधारा का त्याग कर दिया और एक नई ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया. 1931 में काँग्रेस ने आन्दोलन छेड़ दिया था. इस दौरान डॉ प्रसाद को कई बार जेल जाना पड़ा.1934 में उनको बम्बई काँग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. वे एक से अधिक बार अध्यक्ष बनाये गए.1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में इनने भाग लिया जिस दौरान वे गिरिफ्तार हुए और नजर बंद रखा गया|


भले ही 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई लेकिन संविधान सभा का गठन उससे कुछ समय पहले ही कर लिया गया था जिसके अध्यक्ष डॉ प्रसाद चुने गए. संविधान पर हस्ताक्षर करके डॉ प्रसाद ने ही इसे मान्यता दी.





26 जनवरी 1950 को भारत को डॉ राजेंद्र प्रसाद(Dr.Rajendra Prasad) के रूप में प्रथम राष्ट्रपति मिल गया. तब से 1962 तक वे इस सर्वोच्च पद पर विराजमान रहे. 1962 मे ही अपने पद को त्याग कर वे पटना चले गए ओर जन सेवा कर जीवन व्यतीत करने लगे.


सन 1962 में अपने राजनैतिक और सामाजिक योगदान के लिए उन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से नवाजा गया.

वे एक विद्वान, प्रतिभाशाली, दृढ़ निश्चयी और उदार दृष्टिकोण वाले व्यक्ति थे.


28 फरवरी, 1963 को डॉ प्रसाद (Dr.Rajendra Prasad)का निधन हो गया. उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं है जो यह प्रमाणित करती हैं कि राजेन्द्र प्रसाद बेहद दयालु और निर्मल स्वभाव के थे. भारतीय राजनैतिक इतिहास में उनकी छवि एक महान और विनम्र राष्ट्रपति की है.


Indian President ‘Dr.Rajendra Prasad’ Facts In Hindi यह ब्लॉग हिंदी पाठको की सुविधा के लिए लिखा गया हैं | अगर लिखी गई जानकारी के अलावा आप कुछ Indian President ‘Dr.Rajendra Prasad के बारे में कुछ कहना चाहते हैं तो हमे कमेंट बॉक्स में लिखे |

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